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सकते ह व &य' न बोल ? उनक लेखन को आम प56का का काम भी वाहक जैसा ह। सा1ह?य और
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लोग' तक पहचाकर मg वयं भी आग बढ ूँगा। प56काए अपना काम कर रह!ं ह इसम हमारा
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बहत जkर! ह आज जब पूँजीवाद Pव`व क योगदान भी होना अ%नवाय ह।
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पूँजीवाद स #मलकर अपनी $ ू रता क चरम पर
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आज का मु{य +`न ह 9क हम सोच दश 9कस
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पहँच कर आम आदमी का %नवाला छtनन जा रहा
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1दशा म जा रहा ह। &या इस दश क #लए नयी
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ह। ऐस समय म लेखक' क> लेखन जीPवत रह,
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सद!, नव युग का अथ #सफ यह! ह क> हमार!
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यह जdर! ह, उसी स आन वाल कल क> उJमीद
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आUथ क +ग%त कारपोरट |वारा चा#लत ह ?
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बंधगी।
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कारपोरट जगत क> चकाच}ध क नीचे जो शोषण
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लगभग दो दशक बाद 9फर स प56का शुd करना क> नद! बहती ह उस भी जानना जkर! ह। क ृ Pष
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क ु छ क ु छ नव स कर रहा ह वह!u ख़ुशी भी द रहा कानून स जो खतरा अSनदाता क |वार पर आ
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ह। इन बीस वषw म 9कतना क ु छ बदल गया ह। खड़ा हआ ह वह खतरा कवल और कवल 9कसान
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Zडिजटल युग आ गया ह। दु%नया फ़ा ट फ़ ू ड सी का नह!ं बिnक हर आदमी का ह।
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हो गई ह। सरकार! उप$म कारपोरट म बदल रह
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&या हम एक बार 9फर स +ेमचSद युगीन होन
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ह। बदलाव इतनी तेजी स घ1टत हो रहा ह 9क
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जा रह ह। +ेमचंद ज़मींदार! +था क चंगुल म फस
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मनुMय मशीन सा बन गया ह। कारपोरट सं क ृ %त
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आम आदमी क> पीड़ा को #लखते रह। &या हमार
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म रोन और हसन क #लए कोई जगह नह!ं ह।
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आन वाल! पीढ़! क ~म का शोषण भी उसी तरह
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yयार मुहhबत यहाँ विज त ह। यहाँ कJप%नय' क
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होता रहगा जैस आजाद! पूव होता था ?
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टारगेट ह िजनको पूरा करन म आज का युवा खुद
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को खपा रहा ह। कभी कभी लगता ह यह दु%नया Pपछल क ु छ वषw म 9कतना क ु छ चल रहा ह ,
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एक गुफा ह जहाँ हम रोबोट स कम तो नह!ं ? इतनी उथल पुथल भीतर भी बाहर भी इसको कहाँ
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%नकाल। गत वषw म हमन कोPवड जैसी महामार!
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धा#म क स?ता क घोड़े आजकल राजनै%तक स?ता
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क दौरान और उसक बाद आUथ क सामािजक और
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क> तरफ दौड़ रह ह। धा#म क और राजनै%तक
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सां क ृ %तक मूnय' पर +हार भी झेल ह। दश क
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स?ता क घोड़े #मलकर बहत अUधक $ ू र और
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भीतर एक और दश 1दखा ह। एक दश कमर' म
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Pव\ूप हो कर अपन ह! आवाम को पैर' तल
बंद, एक सड़क' पर भूखा yयासा सैकड़ो
क ु चलते ह। यह बहत जkर! हो चला ह 9क हम
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9कलोमीटर क> Pववश और Pवकट पैदल या6ा करते
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#लख हम बोल। कPवता सश&त माzयम क dप म
हए। मानवीय संवेदना को लुटते और बनते भी
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हमार सम ह। पूँजीवाद और सामSतवाद क>
दखा। आज पूर दश म कोPवड न हाहाकार मचा
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जकड़ और पकड स बाहर %नकलना जkर! ह।
मई – जुलाई 5 लोक ह ता र