Page 4 - Vigyan Ratnakar August 2021
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अगस्त 2021
चुकल अभछ। सात दशक सं ऊपि के ि एदह दवकास यात्रा मे दकछु वैज्ादनक उपलस्ब्धक चच्ग अत्ावश्यक अभछ। सन 1948-49 के आसपास जखन िासायदनक खाद केि प्रयोग शरूु भेल, त िॉ. नील ित् धि अप्पन अनुसं धान एवं वैज्ादनक प्रयोगक आधाि पि सं पपूर्ग समाज कें जागरूक किय लगलाह। हनकि सुझाव ई छलदन जे देशी खाद आ िासायदनक खादक सस्म्भलत प्रयोग धितीक लेल सेहो नीक आ उत्पादनक लेल सेहो उत्तम होइत अभछ।
सन 1952 मे तत्ालीन कें द्रीय कृ दर एवं खाद्
मं त्री आ भाितीय कृ दर अनुसं धान परिरद के तत्ालीन अध्यक्िॉ.कन्ैयालालमाभरकलालमंशुीविािापहँचयलागल।रिमोटसेस्सिन्गतकनीककमददतसंभाितकपपूव्गिाष्टट्पदतिॉ.ए.पी.जेअब्लुकलाम।
भलभखत पुस्स्तका Gospel of Dirty Hand अथा्गत मभलन हाथक गीता मे दईु गोट कल्पना कयल गेल, जकि व्यापक प्रभाव िहल। प्रथम ई जे ग्ामीर दवकासकलेलजलचक्र(धितीसंलकआकाशआ भपू गभ्ग तक) आ भपूदम सं प्राप्त परौदष्टक पदाथ्गक चक्र - संगँदहगामघिकसामुदादयकसंगठन-तीनपूमेसंतुलन एवं समविय बनल िहय। जल आ परौदष्टक पदाथ्ग - दनपू पू चक्र कोना चलैत िहय - आ एकि की महत्व छै से ओ बतरौलदन। चक्र सं मोन पड़ल अशोक चक्र जे भाितक िाष्टट्ीय प्रतीक अभछ - जादह सं सामाभजक दनिंतिता आ गदतक प्रेिरा भेटैत िहैत अभछ। एतबय नदह ओ भपू-सेना के अवधािरा देलदन। ददल्ी दवश्वदवद्ालय के दकछु दवद्ाथशी भपू-सेनाक एकटा टुकड़ी बनरौलदन आ ददल्ी स्थित नजफगढक गंदगी सं भिल नाली कें साफ केलदन। एदह प्रयास सं एकटा नवीन दृदष्ट बहिायल जे जखन दवज्ान एवं तकनीकक गप्प हो, त समाजक सं पपूर्ग वग्गक लाभ कें ध्यान मे िखबाक चाही आ संगदहं सामुदादयक सहभादगता सेहो। भाितीय दवज्ानक दवभशष्टता अभछ जे ई समाज-कें दद्रत अभछ। याद करू भाितक अंतरिक् काय्गक्रम के ि जनक िॉ.
कृ दर-काय्ग एवं खदनजक पता लगेबाक उल्ेखनीय काय्ग सेहो केलदन। दहनके प्रेिरा आ देखाओल गेल िस्ता पि चभल क देश अनंत गगन तक उड़ान भरि सकल। भाितक महान पिमारु वैज्ादनक िॉ. होमी जहांगीि भाभा देश मे पिमारु काय्गक्रमक मजबपूत नीवं िखलदन,जकिाबलेंआईभाितदवश्वमेप्रमुखपिमारु संपन्न देश सभक पाँदत मे ठाढ अभछ। भाभा ‘शांदतपपूर्ग काय्गक लेल पिमारु ऊजा्गक उपयोग’ केि दहमायती छलाह। हम सब श्वेत क्रांदत, हरित क्रांदतक दवरय मे खपूब चचा्ग किैत छी, जादह सं खेती-बाड़ीक नक्ा आ देशमेदधपू-दहीउत्पादनकपरिदृश्यबदभलगेल।मुदा, दतलहनी फसलक लेल चलाओल गेल क्रांदत के ि चच्ग कम होइत अभछ, जकि श्ेय जाइत छदन िॉ. एमवी िाव कें । कोनो समय मे िाजथिान दपछिल प्रदेश मानल जाइत छल। मुदा सेिसोक खेती बलें ई िाज्य आगपूक पाँ दत मे आदब गेल। के वल सेिसो के खेदतये नदह भेल, जगह-जगह तेल दमलक थिापना कयल गेल।
भाितीय दवज्ानक भक्दतज पि मदहला वैज्ादनकक सेहो अतुलनीय योगदान िहल अभछ। भाित ित् सि सी.वी. िामन के ि दवरय मे त सब क्ो जनै छी,
वर्ग 2006 मे दहनक साक्ात्ाि लेबाक हमिा अवसि प्राप्त भेल छल। ओदह समय मे हम दैदनक जागिर समाचाि पत्र मे काय्गित िही। एख़नो याद अभछ हेदिंग - ‘हम सोते हये भी सीखते हैं’। िॉ. कलाम कहने छलाह जे हमिा सभ कोना अवचेतन मन कें प्रभावी तिीकासंसदपुयोगकयअपनजीवनकेंश्ेष्ठबना सकैत छी। साक्ात्ािक क्रम मे िॉ. कलाम संयुति परिवािक दवलक्रताक सेहो मुति कं ठ सं प्रशं सा किैत बतओलदन जे कोना हनक व्यदतित्व दवकास मे सं युति परिवािक योगदान िहलदन। िॉ. कलाम पिमारु हभथयाि काय्गक्रमक कु शलतापपूव्गक सं चालन के लदन आ ‘दमसाइल मैन’ एवं ‘जनताक िाष्टट्पदत’ क रूप में दवख्ात भेलाह।
आजाद भाित मे जों कोनो सपना, जे प्रत्के भाितीय केि मानस पटल पि अदंकत िहल, ओ अभछ – दवकभसत भाितक सपना। एहेन भाित, जतय चतदु दक्ग खशु हाली िहय आ प्रत्के नागरिकक मखु मंिल पि मसु की बनल िहय। ई तखने संभव अभछ, जखन भाितक जन-जन मे वज्ै ादनक दृदष्टकोर दवकभसत होइ आ नवीन भाितक दनमार्ग मे सामदपू हक िचनात्मक दहस्दे ािी होइ।
आजाद भारत मे जँ कोिो सपिा, जे प्रत्ेक भारतीय के र मािस पटल पर अंककत रहल, ओ अथि – तवकमसत भारतक सपिा
मुदा अन्ना मभर कें बहत गोटे नदहयो जनै छभथ जे दक िामन के साथ दमभल कय काज के लदन। मपूल रूप सं भरौदतकशास्ती अन्ना मभर मरौसम वैज्ादनक छलीह। भाितक मरौसम दवभाग मे उप-दनदेशक पद पि िहैत ओ मरौसम दवज्ान उपकिरक क्ेत्र मे उल्ेखनीय योगदान देलदन। सरौि दवदकिर, ओजोन आ पवन ऊजा्ग मापक दवरय मे दहनक अनुसंधान काय्ग महत्वपपूर्ग अभछ। अन्ना मभरक माग्गदश्गन मे देश मरौसम दवज्ानक क्ेत्र मे आत्मदनभ्गि बदन सकल।
दवक्रम सािाभाई कें । ओ भशक्ाक लेल उपग्हक साथ्गक प्रयोग के लदन आ गाम-गाम घि-घि तक ज्ान-दवज्ान
देशक महान वैज्ादनक सभक अतुलनीय योगदानक चचा्गक क्रम मे मोन पड़इत छभथ महान वैज्ादनक एवं





















































































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