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April 2021
अप्ैल 2021 | खंड 1 | अंक 2
प्धान संपािक नकु ल पाराशर
प्बंध संपािक कदपल दत्रपाठी
संपािक मानिध्णन कं ठ
परामश्ण मंरल अछखलेश िा (अध्यक्) पीएन छसंह आलयोक कु मार प्काश िा संजीि छसन्ा ररौशन िा
सुभाष चन्द्र
दरजाइन पीयालीदरजाइन
पत्राचारक पता
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दरस्क्ेमर/अस्ीकरण
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िम्ादकीय
वैज्ानिक सामाजिक
अउत्तरदायित्व एवं ‘स्कोप’ डॉ. नकुल पाराशर
नादिकाल सं दिज्ान आ प्रौद्योदिकी कयोनयो नै कयोनयो रूप मे मानिताक सिे ा क’ रहल अछि. ई एखनयो चछल रहल अछि. हालाँदक जे काज
दिज्ान आ प्रौद्योदिकी क’ रहल अछि ओकरा सं अलि आम लयोकक दिमाि मे एकटा सामान्य धारणा ई अछि जे प्ययोिशालाक भीतक भीतर जे दकिु भ’ रहल अछि, ओएकटारहस्यअछि.लयोककसामान्यआशंकाके िरू करबाक लले महत्वपणू ्ण ई अछि जे िज्ै ादनक समिु ाय कें आिू आबय पड़त आ आम लयोक कें बताबय पड़त जे ओ कयोन तरहक दिज्ान आ अनसु ंधान क’ रहल िछि आ ओदह सं लयोक पर, समाज पर की प्भाि पड़त.ै ई एकटा चनु रौती अछि. िज्ै ादनक सबकें दिज्ान संचार आ लयोकदप्यकरण के नबका-नबका तकनीक जानय पड़तनै जादह सं ओ अप्पन शयोधक जानकारी आम लयोक धरर पहंचा सकछि आ लयोक-संिाि स्ादपत क’ सकछि.
िास्तिम,े दिज्ानआप्रौद्योदिकीसंचारपरकतके रासदिचार-दिमश,्ण चचा्णआव्ाख्ानबड़लयोकदप्य भले अछि, मिु ा ओ सब िस्तािजे आ ररकॉर्ण फयोमटमे मे रदह जाइत अछि. बहत रास सामग्ी एिं दटप्सक भंरार सहे यो उपलब्ध अछि जादह बल पर जदटल दिज्ान आ प्रौद्योदिकीक िप कें पाठन सामग्ी, दफल्म आ रेदरययो केर माध्यम स’ आसानी सँ बछुि सकैत िी. तिादप सभ िज्ै ादनक लयोकदनक ई िादयत्व िदन जे दिज्ान संचार क प्भािशाली तरीका अपनाबछि. ई तखने संभि अछि जखन दिज्ान एिं प्रौद्योदिकी के र सं चार, लयोकदप्यकरण एिं प्सार अिात्ण Science Communication, Popularization & it’s Extension (SCoPE) कें दिस्तार हअय. एदह लले सन 1979 मे आईसीएआर द्ारा ‘लबै टू लरैं ’ के सािक्ण प्ययोि भले रहय. ई कायक्र्ण म दकसान सभ कें प्ययोिशाला बला शयोध कें सरलता सँ बिु ाबकै . ई काज बड़ मन-लिआु िल दकयादक एदह मे स्ानीय भाषाक माध्यम पर जयोर िेल िले िल. एकरा मे दिज्ानक कदठन शब्द कें स्ानीय भाषा मे बिु य बला व्ािहाररक रूप िेल िले िल. संक्पे मे कही, त’ आब एकरे िज्ै ादनक सामाछजक उत्तरिादयत्व कहल जा रहल अछि.
एदह दिशा मे, छसतम्बर, 2019 मे दिज्ान
आ प्रौद्योदिकी दिभाि द्ारा आनल िेल िैज्ादनक सामाछजक उत्तरिादयत्व नीदत बड़ महत्वपूण्ण अछि. एकर प्स्तािनाक अनुसार “िैज्ादनक सामाछजक उत्तरिादयत्वक अिधारणा मे िरू िशशी नेतृत्व, िैज्ादनक एिं सामाछजक चेतना आदि अंतदन्णदहत अछि. िैज्ादनक सामाछजक उत्तरिादयत्व िैज्ादनक ज्ान सँ लाभाछवित हयोय बला लयोकक बीच सामंजस्य स्ादपत करबाक संि दिज्ान आ समाजक बीच एकटा संबंध- सेतु के सहयो काज करैत अछि. एदह तरहें दिज्ान आ
प्रौद्योदिकीक चेतना सँ ओतप्योत मन सँ समाजक लाभािशी लयोकक बीच िृहत स्तर पर ज्ान आ संसाधनक प्चार-प्सार हयोइत अछि.
दिज्ान आ समाजक बीचक संबंधक प्िाढ़ता एदह बातपरदनभर्णकरतजेिहूूदिससँकयोनासंिािभ’
र ह ल अ छ ि . ए क र ा ल ले ब ि ल तै प् रौ द् यो द ि क ी आ स ं च ा र रणनीदतक सं ि नि दिज्ान आ प्रौद्योदिकी सं चार, लयोकदप्यकरण आ एकर दिस्तार सँ शयोध आ दिकासक िदतदिछध लिातार करय पड़त. दपिला दकिु िशक सँ Science Communication, Popularization & it’s Extension (SCoPE) दिज्ानक अन्तःदिषय के रूप मे एकटा प्मखु शाखा बदन उभरल अछि. समाज मे िज्ै ादनक चते नाक दिकास मे सामाछजक उत्तरिादयत्वक भदू मका बड़ पघै हयोयत अछि. िज्ै ादनक दिकास आ आम लयोकमे एदह दिषयक जािरूकता सँ एदह िेशक दिकास नीक सँ भ’ सकै त अछि. एकरा अलािा, दिश्वदिद्ालय स्तर पर शक्ै छणक संस्ान आदि मे सहे यो एदह भािना के दिकास करबाक जरूरत अछि, जादह सँ प्रौद्योदिकी आ
सं चार रणनीदतक सं ि नि दिज्ान आ प्रौद्योदिकी सं चार, लयोकदप्यकरण आ एकर दिस्तार (स्योप) के र अछभयान आिू बढ़य. एदह लले समदपत्ण भ’ काज करय पड़त. दिश्वदिद्ालय स्तर पर ‘स्योप’ पत्रकाररता आ जनसं चार जहे न दिषय मे स्ातक आ स्ातकयोत्तर स्तरक अलि- अलि पाठ्यक्रममे मॉड्लू क रूप मे प्ययोि आिश्यक अछि. सरकारी आ िरै -सरकारी िनु ू स्तर पर परू ा िेशमे ‘स्योप’ कें द्र खयोलबाक आिश्यकता अछि.
सत्यपिू ी,त’ईपनु ीतयात्राशरूु भ’चकु लअछि आ आशा करैत िी जे ‘स्योप’ के र बढैत िायरा सँ राष्ट्ीय स्तर पर एकर दिस्तार हयोयत. चत्रै प्दतपिा, िड़ु ी पड़िा, जदू ड़शीतल अादि के र अनं त मं िल कामना!
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