Page 4 - Vigyan Ratnakar March 2021
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आमुख कथा
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March 2021
समय कसे र कथा
आलोक कुमार
मय के र किा विस्यकारी अछि। समय के र महत्व नवह बांचल। अपन भारत मे पांच हजार साल इवतहास अनं त। एकर किा कवठन, मुदा पवहने स्रजक िाया के उपयोग सं घड़ी बना गणना पवहचान सरल। समय के र तीन पवहचान आरंभ भऽ गेल िल। आवद सभ्यता मे गवत के सटीक
सि्षविवदत अछि। भ्त, भविष्य आ ित्षमान। समय गणना सं ब्हांड के नावप लेल गेल। पृथ्ी के ि्ण्षन आ
जबे ी मे राछख कऽ चलबाक फै शन रहय। समय बबाद्ष ीक सखतविरोिीमहात्मागािंीअपनघड़ीकेडाड़ंमेटावंग कऽ राखतै िलाह। सदखवन काज मे मशगल् रहय बला महानगछणतज्पास्लअपनसहछलयतलले जबेी घड़ीकेरस्ीसंकलाईपरबाछन्कऽराखतैिलाह। िज्ैावनकब्जे पास्लकेकैलकुलटेरकेआविष्ार के र श्ये सहे ो देल जाइत िछन्। गोस्ामी तलु सी दास 1576 ईस्ी मे रामचररत मानस छलखलाह। हनक अमर दोहा अछि, ‘एक घड़ी आिो घड़ी, आिो मे पवु न आि, तलु सी सं गवत सािु की, हरे कोवट अपराि।’ सद्: जावहर अछि तलु सीदास के र समय मे भारतीय लोक मानस समयक गणना सं ठीकठाक पररछचत रहछि।
समय गणना के व्यिहृत मानक सके ें ड, वमनट आ घं टा अछि। एवह मानक के र आिार पर समयक पवहचान मे घड़ीक ईजाद महत्वपण् ्ष अछि। मदु ा अतीत मे भारतीय गछणतज् आ समद्धृ खगोलशास्ती समयक पवहचान लले जे घड़ी शब्दक रियोग करैत िलाह ओ ई भरौवतक घड़ी सं छभन्न अछि। रिख्ात गछणतज् आयभ्ष ट् आ भास्राचाय्ष समय गणना लले मानिीय चक्ु के पलक िपकै य के अतं राल के सहे ो आिार बनरौलछन्। एक परमाणु पलक िपकैय के औसत अिछि 4 सके ेंड होईि। एक विघवट 6 परमाण।ु एक घड़ी िा घवट मे 60 विघवट। 60 विघवट मे 24 वमनट। एक महूु त्ष मे 2
भ्तकाल मे छचन्ल गेल। ित्षमान के ब्छि भविष्यक गणना कएल जा रहल अछि। गणना सऽ भविष्यक यात्रा सुगम बनाओल जा रहल अछि।
समय के र पवहचान चते ना सं जड़ु ल अछि। अतीत मे जवहया मानि मे चते ना आयल, तवहये समय कें छचन्ल गले । समय कें छचन्तवहं मानि मे ज्ानक पयबाक भछ् भक्ा बढ़ल, भत् सिार भले । ज्ान-विज्ान मे पररिवत्षत होमय लागल। समय विज्ान कें पंख लगा देलक।पंखरूपीसमयकेरबत् ेमानिचते निाअिचते न मन अनं त यात्रा पर सफलतापि् क्ष वनकछल गले । हमसब अबि् कें बिु बा लले उद्त भऽ गले हं। समय पर सिार विज्ान मात्र िरती टा नवह समच् ा ब्हाडं क छजज्ासाक समािान मे लावग गले । खगोलशास्ती आ िज्ै ावनकगण समस् सिाल के र जिाब देबा लले उदयत भऽ गले ाह। गत्ु ी सलु िय लागल। अबि् के बिु बाक गवत बवढ़ गले । वनत नि यात्रा होमय लागल।
ग्ह नक्त्र के गवत बुिना गेल। स्य्षग्हण, चंद्रग्हण समयक सटीक गणना आरंभ भेल। समयक गणनाक िृत्ांत भारतिष्ष के लोकमानस आ पोिी-पतरा मे कतेको ठाम अछि।
आिवु नक इवतहास मे कहल गले अछि जे रिाचीन यन् ान, यानी ग्ीस मे पावन सं चलय बला अलाम्ष िड़ी सिा द् हजार िष्ष पवहने बनाओल गले िल। ओवह अलाम्ष घड़ी मे घटैत जल स्र संग तय समय केर बाद घं टी बाजय लागतै िल। आिवु नक घड़ी के आविष्ारक श्ये मे महत्वपण् ्ष अछि जे 1577 मे म्स्ट्जरलडैं के जोसं बगणी वमनट बला सईु बनरौलाह। ओ अपन खगोलशास्ती वमत्र के र मदद लले ई बनरौने िलाह। ओवह सं पवहने जमन्ष ी के न्र् मबग्ष मे पीटर हेनलने पघै वटक- वटक बला घड़ी कें िोट आकार देलछन्। ओवह सं घड़ी के एक ठाम संदोसरठामलऽेगनेायसलुभभले।
विगत शताब्दी मे हाि घड़ी स्ेट᳭स छसंबॉल िल। एचएमटी सब भारतीय कलाई पर हाि घड़ी बंिबा देलक। ब्ाडं ेड घड़ी सबहक आसमान ि्बतै दाम हीरा- जिाहरात के बाजारक तलु नीय रहल। पवहल बरे हाि
समयक गणना कवहया सं आरंभ भेल? कोन देश मे
आकतयकेरलोकएकराआरंभकएलाह?एकरउत्र
देबा मे समि्ष विद्तगण असमि्ष िछि। इवतहासकार दवुििाग्स्।ओनाआईनेटिक्षसंगांिलग्ोबलघड़ी1650मेमशहूरफासंीसीगछणतज्ब्जेपास्लघड़ीयानी48वमनट।30महूुत्षकेएकनक्त्रीयवदिस विलेज के अििारणा मे एकर दािेदारी के कोनो खास अपन कलाई पर बान्ने रहैि। ओवह सं पवहने घड़ी के (वदिस आरंभ सय् योदय सं अवगला सय् योदय िरर)।