Page 5 - Vigyan Ratnakar March 2021
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जल
एकल ऑक्सीजनक अणु सँ
जोड़ा हाइडट्ोजन भेंटायब यरौ। वमलन सँ जनमल जल लय जग मे जीिनक िार बहायब यरौ।।
तेल िोवड़ सभ मे घुछल सकलहँ वमलनसार कहायब यरौ।
गैस, ठोस आ तरल रुप िरर हम विविि रुप सजायब यरौ।।
सरौ केँ ताप सँ भाप बवन उड़लहँ श्न् भेंटवत िवम जायब यरौ। कखनो मेघक रूप िरय िी कखनो अमरनाि कहायब यरौ।।
महादेि कँे शीश चढ़ब आऽ
नोर बवन आँछख सँ खछस जायब यरौ। खेतक आस बवन फसल केँ अंतस रिाण बवन लहलहायब यरौ।।
कखनो कल-कल नदी बनैत िी कखनो बनलहं सागर यरौ। कखनो कवनए क््ब मे अटलहँ कखनो भरलहँ गागर यरौ।।
शोछणत बवन कँ हृदय बसय िी लार बवन स्ाद बढ़ायब यरौ। चानन काठक संग वघसय िी हरर कँे आनन सजायब यरौ।।
तरणताल मे िलकै त रहलहँ कखनो बँद् बँ्द तरसायब यरौ। जलक’ बँद् अनमोल होइत अछि सभ केँ इहै समिायब यरौ।
- आरािना िा श्ीिास्ि छसंगापुर
ववज्ानक मत्हमा
विज्ान के आलोक मे होइत मनजु उत्ान अछि। जीिन सखु द सवु ििाजनक सद्ः फछलत रिमाण अछि।
पवहले पवहल सम्ाद हते ु मात्र डाक आ तार िल तकनीक के विस्ार स मट्ु ी मे आब संसार अछि।
देशाटन ि तीिाट्ष न, पद यात्रा अवत दगु म्ष रहल आविष्ार स विमान के छसमटल अगम विस्ार अछि।
नाना रिकारक रोग के र चहँ वदस लागल अबिार िल सं क्रवमत लोक सभक होइत मृत्यु अकाल िल छचवकत्ीयअनसु न्ानसजीिनरक्ाआसानअछि।
वतहँ लोक के नपबाक मानिक सतत रियास िल चन्द्रमा पर राछख डेग मं गल पर कु दबाक अछि।
अछभशाप िा िरदान ई उपयोग पर वनभर्ष करय हो जीि रक्ा रिकृ वत सं ग ध्येय यैह सवदखन रहै- ध्येय यैह सवदखन रहै।
-आशतुोषकुमार काय्षक्रम वनष्ादक, रिसार भारती
ऋेद के नारदीय सूक्त मे सृष्टि उत्पत्त् सं पूव्ण के स्थिवतक वर्णन अछि। तखन नत्ह सत् रहय नत्ह असत, नत्ह परमारु नत्ह आकाश। तऽ ओ समय की रहय?
मानक समय के र अनं त किा। समय बतेबा लेल अनेको तरीका अछि। मशहूर किाकार राही मास्म रजा महाभारत सीररयल के र लेखक दल मे िलाह। ओ समय कें स्त्रिार बना देलैि। जेना िेदव्यास संजय सं कु रुक्ेत्र व्याख्ावनत करेलाह तवहना मास्म रजा साहेब सम्चा महाभारत हरीश छभमानी के र आिाज मे समय के र माफ्ष त कवह देलाह।
गवत,समयआदर्ीकेआंकलनपरसमच्ागछणतीय छसद्धातं सत्र् आिाररत अछि। एकर आपसी िज्ै ावनक सं बं ि थिावपत कऽ इवतहास मे विम्स्त जानकारी पाऔल गले अछि। ितम्ष ान मे अनके ो रियोगशाला मे एवह पर काज भऽ रहल अछि। भविष्य मे मानि के अतीत सऽ साक्ात्ार करा देबाक तयै ारी मे िज्ै ावनक लागलिछि।अवहलऽकऽहालीिडु आबालीिडु के
अनके ो वहट चलछचत्र अछि। खगोल आ ज्ोवतषशास्त एवह संबंिक आिार पर कालगणना करैत अछि।
रिख्ात ब्हाण्ड िज्ै ावनक स्ीफन हॉवकंस समय केर संछक्प्त इवतहास पर वकताब छलखने िछि। ओ छलखतै िछि जे सवृ ष्ट आ समय सहोदर अछि। ब्हाण्ड उत्पवत आवदद्रव्य मे वबग बगैं (महाविस्ोट) सं भले । महाविस्ोट सं अव्यक्त ब्हाडं व्यक्त अिथिा मे आबय लागल। एकरे संग समय उत्पन्न भले । आग् जा िरर सवृ ष्ट रहत ता िरर समय रहत। सवृ ष्ट के लोपक संगवह समय लोवपत भऽ जायत। सवृ ष्ट सं पवहने की िल? एकर उत्र मे हावकन्स छलखतै िछि वक आई ओ अज्ात अछि। म दु ा ए क र ा ज ा न ब ा क ए क ट ा स ा ि न भ ऽ स क ै ि । ज ख न कोनो तारा मरैत अछि तऽ ओकर ईंिन, रिकाश आ ऊजा्षसमाप्तहोमयलागिै ।ओछसकुड़यलागतै अछि। भारतिष्ष मे ऋवषगण एवह पर छचंतन कएने िि। ऋगिदे के नारदीय सक्त् मे सवृ ष्ट उत्पवत् सं पि् ्ष के म्थिवतक िणन्ष अछि। तखन नवह सत् रहय नवह असत, नवह परमाणु नवह आकाश। तऽ ओ समय की रहय? जखन नवह मत्यृ ु िल, नवह अमरत्व, नवह वदन, नवह रावत। तखन स्ंदन शवक्तयक्तु ओ एकटा तत्व िल। सवृ ष्ट पि् ्ष घप्पु अन्ार सऽ ढकल रहय आ तापशवक्त सं यक्तु एकटा तत्व िल।
सि्षरििम ऋवषगण काल यानी समय के र पररभाषा देलाह। ओ कहलाह, ‘कलयवत सिा्षछण भ्तावन।’ ओ संप्ण्ष ब्हांड आ सृवष्ट के खा लैत अछि। संगवह कहलाह, जे एहन नवह अछि वक ई ब्हांड एकबेर बनल आ नष्ट भेल। अवपतु उत्पवत् आ नष्ट के चक्र सतत चलैत रहैत अछि।
सन् 1990 मे मम्ै क्सको के नोबल परु स्ार रिाप्त कवि आक्ोवियो पाज़ अपन कविता Into the matter मे समय के सिभ्ष क्ी रूप के िणन्ष करैत छलखतै िैि-
A clock strikes the time
now its time
it is not time now, not it is now now it is time to get rid of time now it is not time
it is time and not now
time eats the now
Now it’s time
windows close
walls closed doors close
the words go home
Now we are more alone...
घड़ी बताबैत अछि समय
आवब गेल आई, समय।
आई मे समय नवह, समय मे आई नवह, समय के विदा देबाक समय अछि आई। समय अछि, आई नवह,
समय वनगछल जाईि आई के ।
आई अछि ओ समय
िातायन बंद भऽ रहल
देबाल अछि बंद
केबार बंद भऽ रहल
शब्द जा रहल स् घर
हम रवह गेलहं एकसरर।