Page 7 - Vigyan Ratnakar March 2021
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     मखानक महत्त्व आओर गुरवत्ा
रवि रौशन कु मार पंडौल, मधुबनी
भारतीय मानछचत्र पर अपन वमछिला विविि स्रूपिारणकऽपािनभव्मकेरूपमे अत्यन्त रिाचीनकालसँ रिवतवष्ठत अछि।
पग-पग पोखरर माँि,
विशषे ता िीक, जावहमे मखानक विशषे महत्व अछि। विज्ानक दृवष्टकोण सँ मखानक िानस्वतक नाम ईररयलफेरॉक्स होईत अछि, जे िाटर लीली क्लक पावनक फल िीक। मखान अपना भारतभव् मक अछभन्न अगं , वमछिलाचं लक विछशष्ट उपज िीक, जकर उपयोग वमछिलाक सं स्ृ वत सँ जड़ु ल अछि। ओना एकर उत्पादन भारतक बाद दवु नयाके ओहन क्त्रे मे होईत अछि, जे भरौगोछलक दृवष्टकोण सँ उष्ण आओर उपोष्ण कवटबंिक क्त्रे मे अिम्थित अछि। जने ा दछक्णपि् ्ष आ पि् ्ष एछशयाके क्त्रे मे सहे ो पदै ा होईत अछि। मखान चीन, नपे ाल, बाग्ं ादेश, कोररया, जापान, रूसक सं गवह उत्री अमरे रका के र पोखरर आओर जलाशयमे सहे ो बहतायत मात्रामे होइत अछि।
भारतमे उत्री वबहार, प्िणी उत्र रिदेश आ नेपाल सीमाक तराई क्ेत्रमे सेहो उपजाओल जाईत अछि। एकर अलाबा पछचिम बंगाल, मछणपुर, राजथिान, मध्य रिदेश, वत्रपुरा, असम आओर बांग्ादेशक सीमाितणी क्ेत्र मे आंछशक रूपसँ उगाओल जाईत अछि। िैज्ावनक रिसंस्रणक माध्यम सं एकर गुण संिद्ध्षन कयल जा सकैत अछि। ओकर पचिात् मखानक उत्पाद सभक लेल विश्वव्यापी बाजार सेहो तैयार कयल जा सकै ि।
मखानक महत्त्व आओर गुरवत्ा
मखान के र उपयोग परौवष्टक आहारक रूपमे कयल जाईत अछि।एकरगणुित्ाककारणेदवुनयाभररमेवनयात्षक अपार सं भािना िै क। एवह रिकारे मखानक उत्पादन सँ वकसान के आमदनी होयत। पसै ा अविवतवहँ सामाछजक पररम्थिवत सहे ो लगले बदछल जायत। एकर वनयात्ष सँ विदेशी मद्रु ा भंडार मे िवृ द्ध सहे ो भऽ सकै ि। मखानक काँच लाबा मे 0.7 रिवतशत रिोटीन, 76.9 रिवतशत काबयोहाईडट्ेट, 0.1 रिवतशत िसा, 1.3रिवतशत खवनज (कै म्शियम-20वमग्ा, फॉस्ोरस-90 वमग्ा, लरौह तत्त्व- 1400वमग्ा/100ग्ाम) आओर 12.8 रिवतशत नमी उपम्थित रहैत िैक। भज् ल मखान के र लाबा मे रिोटीन 9.5रिवतशत, काबयोहाईडट्ेट 84.9 रिवतशत, िसा 0.5 रिवतशत, नमी 4 रिवतशत आओर क्र्ड 0.6 रिवतशत पाओल जाईत अछि। रिवत 100ग्ाम मखानक लाबाक सिे न सं 382 वकलो कै लोरी ऊजा्ष भटे ैत अछि। मखान केररासायवनकविश्षेणकपचिात्ज्ातभले जेएवहमे एवमनो अम्ल विद्मान होईत अछि; जकर संरचना सं ज्ात होईत अछि जे एवह मे मख्ु रूपें आरजीवनन आओर ग्ट् ोवमक अम्ल पाओल जाईत अछि। एकर अवतररक्त लाईसीन, वहस्ीजीन, आस्ावटक्ष अम्ल, छियोनाईन, सरेीन, रिोलीन, ग्ाइछसन, छसस्ाइन, ल्स् ीन, वफनाइलएलावनन इत्यावद सहे ो पाओल जाईत अछि।
मखान उत्ादन
मखानक खते ी ओहन जलीय क्त्रे मे
होईत अछि जतय म्थिर पावनक िहृ त्कत्रे
(जकर औसत गहराई 1 सं 1.5 मीटर होईत
अछि) आओर तलहवट मे ह्म् स जमाि सहे ो आिश्यक अछि। बसे ी गहीरंगर पोखरर चलंत पावन मखानक खते ी लले अनपु यक्तु होईत िैक। मखानक बसे ी उत्पादन करबाक लले दोमट मावट बसे ी उपयक्तु होइत िैक। मखाना अनसु ंिान केन्द्र, दरभंगा िज्ै ावनक लोकवनक बात जरौ ं मानल जाय तऽ वमछिलाक पारम्ररक मखानक पोखरर मे रिवत हक्े ेयर नाईटट्ोजनक मात्रा 408 सं 684 वकलोग्ाम, फास्ोरक मात्रा 28.6 सं 48.4 वकलोग्ाम आओर पोटाशक मात्रा 154 सं 366 वकग्ा पाओल जाईत िैक। पोखररक िा जलाशयक मावट आओर पावन मे अम्लक मात्रा घवट गले ाक बाद चन् ाक उपयोग कऽ सिु ार करबाक रियास कयल जाईत अछि, तखने पोखरर मखानक खवे तक लले उपयक्तु होईत िैक। िज्ै ावनक दृवष्टकोण सँ पोखरर मे सालो भरर पावन आिश्यक होईत िैक। सं गवह पावनक उपयक्तु पी.एच. मान 7.1 सं 8.2, पारदछशत्ष ा 40 सं 50 समे ी, आओर पावनक तापमान 18 सं 25° स.े उपयक्तु मानल जाईत िैक। आजकु समय मे वनचला भभ् ाग िा िट्से लडैं म,े जे मात्र 1.5 सं 2 फीट गहीरं गर होय, जने ा वबहारक दररभङंगा, मिबु नी, कवटहार, पछ् ण्षयाँ, मिपे रु ा, सहरसा आवद छजला मे मखानक उत्पादन बसे ी पमै ाना मे कयल जाईत अछि। ऐहन क्त्रे जतय ठेहून भरर पावन रहतै िैक, वकसान मखानक खते ी कयलाक बाद िान, गहम जकाँ दोसरोफसलसभकखते ीकऽआछिक्ष लाभकपव्त्षकरैत िछि। एकर रिचलन वमछिलाक पारंपररक मखानक क्त्रे मेसहेोशरूुकयलजारहलअछि।एकररियोगसँई तथ्यज्ातभले जेमखानकखतेीमेवकसानलोकवनकें दोसर फसल सबके तलु ना मे बसे ी उपज भऽ रहल अछि।
उत्ादनक वरिया ववथि
मखानक बीजके भीतर मे उपम्थित उज्जर पररभ्ण् खयबाक योग्य होईत अछि। जकर लाबा बनाओल जाईत अछि। जकर लाबा बनाओल जाइत अछि तखने मखानक असली स्ाद भटे ैत अछि। मदु ा एवह लाबाक रुपमे जे अपना लोकवन सिे न करैत िी से लाबाक वनमाण्ष क रिवक्रया अत्यन्त जवटल होइत िैक। मखानक खते ी हेतु जलाशय अििा पोखरर मे ठेहन भरर पावन रहबाक चाही। मखानक परौिा पावन मे िः सं आठ मास िरर रहैत िैक ओकर पचिात् व्यिसायी लोकवन कररया रंगक फल जके र नाम पड़ैत अछि गरु रया, बाहर वनकालतै िछि। ईहो एकटा कवठन रिवक्रया होइत अछि। एकर बाद गरु रया के साफ-सिु रा कयल जाइत अछि, पनु ः ररौद मे सखु ाओल जाईत अछि। तत्पचिात् छभन्न-छभन्न आकारकचालवनसँमखानकगरुरयाकेपाँचसंिःठाम अलग-अलग कऽ आकारक वहसाब सं राखल जाईत
 मखान एवह
पवित्र भव् मक
अछि। एकरा बाद गरु रयाके आवग पर
मावटक बरतन मे गम्ष कयल जाईत अछि।
गम्ष कयला के पचिात् एक िा द् वदन घर मे िोवड़ देल जाइत अछि। फे र मावटक बतन्ष मे मखानक गरु रया कें गम्ष करैत काल एक हाि सँ गम्ष गरु रया कें लकड़ी के आिार पर दैत िैक आओर दोसर हाि सँ लकड़ीक िापी सं माररते देरर कारी गरु रया उज्जर फोकं ा बवन जाईत अछि, जकरा मखानक लाबा कहल जाईत अछि।
मखानक लाबाक उपयकोग
वमछिलाक सं स्ृ वत मे मखानक लाबाक उपयोग अनेको पाबवन-वतहार मे कयल जाईत अछि। मुदा वमछिलाक पवित्र पािवन कोजागरा मे मखानक बेसी माँग देखल जाईत अछि। एवह फल सँ विछभन्न तरहक व्यंजन बनाओल जाईत अछि, जावह मे घी मे भ्जल मखानक भुज्जा, मखानक तरकारी, खीर, हलुआ सेहो बनाओल जाईत अछि। एखुनका समय मे व्यािसावयक तरौर पर पैके ट बं द मखानक स्ैक्स, खीर-वमक्स आओर अन् उत्पाद बजार मे सेहो उपलब्ध भऽ रहल अछि। मखान मे औषिीय गुण सेहो पाओल जाईत अछि। मखानक सेिन सं बेरी-बेरी आओर वडसेन्ट्ी नामक वबमारीक रिकोप सं बांचल जा सकैत अछि। संगवह ई फल बहत बेसी स्ास्थ्यिद्ध्षक सेहो होईत अछि। एवह क्रममे एकर बीजक अक्ष सँ कानक पीड़ा कम होईत अछि। मखानक पत्ाक भस् आओर वकम््ित चाउर के फें ट कऽ रियोग कयला सँ मवहलाक रिसि बािा दर् होइत अछि। एकर फलक रियोग सँ िीय्ष क्य सन वबमारीक उपचार करबा मे मदवत भेटैत अछि। औषिीय गुण मे एस्ीजेन् आ म्त्रिद्ध्षनक लेल मखान बेसी लोकवरिय िैक, एकर अवतररक्त मखान मे उपम्थित स्ाच्ष कपड़ा चमक-दमक बढयबाक लेल सेहो उपयोगी अछि।
तकनीकी ववकास
भारतीय कृ वष अनसु ं िान पररषदक् सहयोग सँ वबहार राज्क दरभंगाछजलामेमखानअनसु ंिानकेन्द्रथिापनाकयलगले अछि जकर काज मखानक उत्पादकताक थिायीत्वकरण सँ लऽ कऽ यात्रं ीकरण आओर मखानक उछचत भण्डारणक ि वितरणक व्यिथिा िरर िैक। एवह संथिानक सहयोग सँ मखानक उद्ोग के र थिापना, मल्ाह और उत्पादन सं जड़ु ल वकसान सभक सशवक्तकरण सं गवह रिछशक्ण, उन्नत वकस्कबीजकविकास,गणु ित्ासंिद्ध्षनआविपणनएिं वनयात्ष मे िवृ द्ध पर जोर देल जा रहल अछि।
 









































































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