Page 49 - कबिता संग्रह.docx
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भरोषा आज कता गए ?
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थए जो भरोषा आमाका हँउ ज तै प ल गए
स तान आ नै माथीका भरोषा आज कता गए
ं दै छन बरामी आमा घर पंढ मा बसेर आज
ज माईन ् स तान आफै मर कता गए खै आज
लाला बाला हका एर आमा जुंगेमुठे बनाउ छन
ु
हेद नन ् आमा बुढौल मा अ ु धारा बगाउछ न
जमाना नकै बद लयो गाँऊ ब न चाह न कोह
खेत बार आ नै बाँझो राखी ब दछ बाँधा उह
छोरो कमाउन घर बाह र बुहार शहर ब दछ न ्
वचरा बुढ आमा गाँउमा दु :ख गद ब दछ न ्
बरामी पदा हँदैन कोह तातो पानी पनी दने
ु
आमाको वक प एउटै मा ए लै बसेर ने
कोह छा छन ् आमा बृदाआ म कोह गाँऊमा
हँदैन स तान संग समय आ नै आमाको नाँउमा
ु
थए जो भरोषा आमाका हँउ ज तै प ल गए
स तान आ नै माथीका भरोषा आज कता गए
बाबुराम प थी " गु मेल "
गु मी त घास
म ह तहारा भएरै बाँ न चाह छ ु
ु
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म ह तहारा
ु
अनी
उ पौरखी मा छे
भ छ यो समाज
समाजको नजरले मलाई
ह तहारा दे दा
ु