Page 11 - KV Pragati Vihar (Emagazine)
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पेड़ो की महत्वता                                               माूँ



                 कलयुग के  रावण का नाम है इंसान,                     मााँ  संवेदन हैं, भावना हैं, अहसास हैं मााँ

             क्युकी यह ले लेता है  पेड़ और पौधो की जान              मााँ जीवन के  फ ू लो में खुसबू का वास हैं मााँ


                       lइसको हम समजाएंगे,
                                                                   मााँ रोते हए बच्चे का खुशनुमा पलना हैं मााँ
                                                                            ु
                       इसको हम मसखालएंग l
                                                                   मााँ मरुथल में नदी या मीठा सा झरना हैं मााँ
              क्यों गया यह भूल,  पेड़ देते र्ल और र् ू ल ?
                                                                    मााँ लोरी हैं, गीत हैं, प्यारी सी थाप  हैं मााँ
              इस धरा पर एक- एक सांस लेते उधार हम l
                                                                    मााँ पूजा की थाली हैं, मंत्रो का जाप दहं मााँ
                   क्यों न इसको ऋण  ुकाए हम,

                      क्यों न एक पेड़ के  बदले,

                        दो- दो पेड़ लगाए हम l


                                             हररनी .क े.जी



                शुक्रियाअध्यापपकाजी




                       टीचरटीचरटीचरटीचर ,

                     इर्रभीटीचरउर्रभीटीचर।
                                                                    मााँ आगे का मससकता हआ क्रकनारा हैं मााँ
                                                                                          ु
                       बच्चोकीलड़ाईहोतीथी,                         मााँ गालो पर पप्पी  हैं, ममता की र्रा हैं मााँ

                   उसके बादटीचरसेपपटाईहोतीथी।
                                                                   मााँ झुलस्ते ददनों में  कोयल की बोली हैं मााँ

               आपकापढ़ानेकातरीकाइतनाअच्छाथा,                      मााँ मेहाँदी हैं, क ु मक ु म हैं, मसन्दूर की रोली हैं मााँ


                  जजसकोसमझनआयेऐसाकोईनथा                                मााँ कलम हैं, दावत हैं, स्याही हैं मााँ

                                                                    मााँ परमात्मा जकी स्वयं एक गवाही हैं मााँ
                  उर्रहमारेसरपरआपकाहाथहोगा,

                   तोकोईबच्चाकभीबबाादनहोगा।                            मााँ त्याग हैं, तपस्या हैं, सेवा हैं मााँ

                                                                    मााँ  फ ूं क से ठंडा क्रकया हआ कलेजा हैं मााँ
                                                                                           ु
              कभीगुस्सेमेंबच्चोकीटीचसासेपपटाईहोती,
                                                                मााँ अनुष्ठान हैं, सार्ना हैं ,जीवन का हवन हैं मााँ
                लेक्रकनउसेमेंउनबच्चोकीभलाईहोती।
                                                                मााँ जजन्दगी हैं, मोहल्ले में आत्मा का भवन हैं मााँ
                      नददनहोंगे , नसुभहहोगी,
                                                                                                 आमदत्यक ु मार
                      अगरपड़ोगेनहींतोजजंदगी।                                                         आठवी ‘ब’

                                             समीक्षारावत
                                                आठवी‘अ’
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