Page 102 - Not Equal to Love
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सूरज ूकाश
                                        जाये। वह तय करती है, सारा 5दन अपनी तरह से

                                        Iबतायेगी।
                                        वह _ लॉक /प म सामान रखती है। और चल पड़ती है।
                                        िसनेमा देखती है, ढाब* पर खाना खाती है, चाट खाती है,
                                        पुराने दोः त* से िमलती है, सी5टयां बजाती सड़क* पर
                                        आवारागदˆ करती है, शाIपंग करती है, ले5कन वह सब
                                        जगह महसूस करती है 5क सबक नंगी िनगाह लगातार
                                        उसका बदन छलनी कर रह+ ह। वह परवाह नह+ं करती।

                                        जब बस का समय होने वाला है तो वह एक कु Y फ
                                        खर+दती है और बैठ कर खाने के  इरादे से पास ह+ के  एक
                                        पाक<  म जाती है। वह+ं एक छोटा-सा लड़का आता है और
                                        पूरे अिधकार से उससे कहता है - मुझे भी कु Y फ 5दला
                                        ना। लड़क उससे पूछती है - तेरे और भी संगी साथी ह
                                        _ या, सबको बुला ला। वह लड़का दौड़ कर जाता है और

                                        अपने कई सािथय* को बुला लाता है।
                                        कहानी का अंत इस तरह से होता है छIव 5क लड़क को
                                        पूरे 5दन म पहली बार लगता है 5क अब जा कर उसे
                                        अपनी तरह से जीने वाला 5दन िमला है जब वह पूरे 5दन
                                        म पहली बार अंजान बg च* के  साथ OखलOखला रह+ है,

                                        ठहाके  लगा रह+ है।
                                      - एक बात माननी पड़ेगी देव 5क आप यूं ह+ कहानीकार नह+ं
                                        बन गये ह। चाशनी म लपेट कर करेले Oखलाना कोई आपसे
                                        सीखे। सुबह सुबह आपसे नाराज़गी जताने आयी थी और

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