Page 196 - Not Equal to Love
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सूरज ूकाश
                                      पर नह+ं समा सकते थे। म दोन* पर बहुत गुः सा हुई थी 5क
                                      इतने अg छे होटल क बु5कं ग क िसल करा के  मुिग<य* के
                                      दड़बे जैसे कमरे 5कसक सलाह पर बुक कराये गये ह। म
                                      बता नह+ं सकती देव 5क बंबई आने के  मेरे सारे उ साह पर
                                      पानी पड़ गया था। उधर से आपक िचंता अलग सताये जा

                                      रह+ थी 5क सब ठfक हो। बार बार आपका फोन शाई करती
                                      रह+ थी बीच म। दूसरे ह+ 5दन आपके  मोबाइल पर आपक
                                      प नी से बात हो पायी थी तो पता चल पाया था 5क आप

                                      अः पताल म भत` ह और थोड़+ ह+ देर म आपको ः पाइन के
                                      आपरेशन के  िलए आपरेशन िथयेटर ले जाया जाना था
                                      म बेहद उदास हो गयी थी। समंदर से पहली ह+ मुलाकात म

                                      ऐसी खबर तो नह+ं चाह+ थी मने देव। म चाह कर भी
                                      आपको देखने अः पताल नह+ं आ सकती थी। हालां5क आपक
                                      प नी ने बहुत अg छे से बात क थी और मेरे पूछने पर वे
                                      अः पताल का पता भी बता देतीं। ले5कन हो नह+ं पाया।
                                      सु=रंदर से कु छ भी कहना बेकार था। उसने भी अपनी तरफ
                                      से एक बार भी नह+ं पूछा 5क तुd हारे दोः त कहां ह OजT ह*ने

                                      सारा इंतजाम 5कया था।
                                      बंबई IवOजट क बाक सार+ 5डटेY स म  न जा कर यह+
                                      बताना है 5क अगले 5दन ह+ हमने जुहू के  ह+ एक होटल म
                                      िशvट कर िलया था। कोई और उपाय नह+ं था। गेः ट हाउस
                                      के  कमरे म डबल बेड इतने छोटे थे 5क रात भर न बg चे सो
                                      पाये न बडे। ए_ ः शा बेड क न तो M यवः था थी न जगह।


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