Page 8 - CHETNA JANUARY 2020- FEBRUARY 2020 FINAL_Neat
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अ'याय 25  भजन सं+हता
             1 हे यहोवा मK अपने मन को तेर  ओर उठाता हं। 2 हे मेरे परमेiवर, मK ने तुझी पर
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        भरोसा रखा है, मुझे लिcजत होने न दे; मेरे श*ु मुझ पर जयजयकार करने न पाएं। 3
        वरन  िजतने  तेर   बाट  जोहते  हK  उन  मC  से  कोई  लिcजत  न  होगा; परQतु  जो  अकारण
        _वiवासघाती हK वे ह  लिcजत ह>गे॥ 4 हे यहोवा अपने माग, मुझ को  दखला; अपना पथ
        मुझे बता दे। 5 मुझे अपने स€य पर चला और VशRा दे, =य>8क तू मेरा उ<ार करने वाला
        परमेiवर है; मK  दन भर तेर  ह  बाट जोहता रहता हं। 6 हे यहोवा अपनी दया और क~णा
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        के  काम> को ?मरण कर; =य>8क वे तो अनQतकाल से होते आए हK। 7 हे यहोवा अपनी
        भलाई के  कारण मेर  जवानी के  पाप> और मेरे अपराध> को ?मरण न कर; अपनी क~णा
        ह  के  अनुसार तू मुझे ?मरण कर॥ 8 यहोवा भला और सीधा है; इसVलये वह पा_पय> को
        अपना माग,  दखलाएगा। 9 वह न\ लोग> को Qयाय क/ VशRा देगा, हां वह न\ लोग> को
        अपना माग,  दखलाएगा। 10 जो यहोवा क/ वाचा और }चतौZनय> को मानते हK, उनके
        Vलये उसके  सब माग, क~णा और सoचाई हK॥ 11 हे यहोवा अपने नाम के  ZनVम€त मेरे

        अधम, को जो बहत हK Rमा कर॥ 12 वह कौन है जो यहोवा का भय मानता है? यहोवा
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        उसको उसी माग, पर िजस से वह HसQन होता है चलाएगा। 13 वह क ु शल से  टका रहेगा,
        और उसका वंश पृवी पर अ}धकार  होगा। 14 यहोवा के  भेद को वह  जानते हK जो उससे
        डरते  हK,  और  वह  अपनी  वाचा  उन  पर  Hगट  करेगा।  15  मेर   आंखे  सदैव  यहोवा  पर
        टकटक/ लगाए रहती हK, =य>8क वह  मेरे पांव> को जाल मC से छ ु ड़ाएगा॥ 16 हे यहोवा मेर
        ओर 8फरकर मुझ पर अनुjह कर; =य>8क मK अके ला और द न हं। 17 मेरे hदय का =लेश
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        बढ़ गया है, तू मुझ को मेरे दु:ख> से छ ु ड़ा ले। 18 तू मेरे दु:ख और कBट पर ‘िBट कर, और
        मेरे सब पाप> को Rमा कर॥ 19 मेरे श*ुओं को देख 8क वे कै से बढ़ गए हK, और मुझ से
        बड़ा बैर रखते हK। 20 मेरे Hाण क/ रRा कर, और मुझे छ ु ड़ा; मुझे लिcजत न होने दे,

        =य>8क मK तेरा शरणागत हं। 21 खराई और सीधाई मुझे सुर’Rत रखC, =य>8क मुझे तेरे
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        ह  आशा है॥ 22 हे परमेiवर इ“ाएल को उसके  सारे संकट> से छ ु ड़ा ले॥



                                              8 |  चेतना प ढ़ये और आगे ब ढ़ये
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