Page 81 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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संपि , तन वाह म  भारी बढ़ोतरी या उसक  लॉटरी लग जाए - तो पैसा िमलने क े  क ु छ समय

               बाद वह अपने पुराने हाल म  पह ँच जाता है और कई बार तो उससे भी बुरे हाल म  । पैसा आपक े
               िदमाग़ म  चल रहे क ै श लो पैटन  को उजागर करता है । अगर यह पैटन  ऐसा है िक अपनी पूरी
               कमाई ख़च  करनी है, तो इस बात क  बह त संभावना है िक आपक  आमदनी बढ़ेगी, तो आपका
               ख़च  अपने आप बढ़ जाएगा । इसिलए यह कहावत सही है, '' मूख  और उसक े  पैसे से शानदार
               दावत  होती ह  ।''

                     म ने यह कई बार कहा है िक हम  क ू ल इसिलए जाते ह  तािक हम शै िणक और
                यावसाियक क़ािबिलयत को हािसल कर सक    । िनि त  प से यह दोन  बह त ही मह वपूण  ह  ।

               हमारी  यावसाियक क़ािबिलयत क े  कारण ही हम पैसा बनाना सीखते ह  । 1960 क े  दशक म ,
               जब म  हाई  क ू ल म  था, यह माना जाता था िक अगर कोई पढ़ने-िलखने म  अ छा है तो वह
               होनहार िव ाथ  आगे जाकर डॉ टर बनेगा । अ सर उस ब चे से यह नह  पूछा जाता था िक  या
               वह डॉ टर बनना चाहेगा । यह मान िलया जाता था । इसका कारण यह था िक इस धंधे म  सबसे
                यादा पैसा नज़र आता था ।

                     आज, डॉ टर  क े  सामने पैसे क े  बह त से संकट ह  जो भगवान न करे िकसी और क े  सामने
               ह  : बीमा कं पिनयाँ इस  यवसाय पर क़ाबू िकए ह , सरकार भी दख़ल दे रही है और अदालत  म

               मुआवज़े क े  क े स दायर हो रहे ह  इ यािद । आज ब चे बा क े टबॉल  टार बनना चाहते ह , टाइगर
               वुड ्  स क  तरह गो फ़र बनना चाहते ह , कं  यूटर िवशेष  बनना चाहते ह , मूवी  टार, रॉक  टार,
                यूटी  वीन, या वॉल   ीट पर  ेडर बनना चाहते ह  । इसिलए  य िक अब दौलत, शोहरत और
               इ ज़त इ ह  जगह  पर है । इसी कारण  क ू ल  म  ब च  को अ छा पढ़ने क े  िलए  े रत करना
               मुि कल हो गया है । वे जानते ह  िक  यावसाियक सफलता का शै िणक सफलता से कोई सीधा
               संबंध नह  है, जैसा कभी ह आ करता था ।

                     चूँिक िव ािथ य  म   क ू ल छोड़ते समय पैसे क  कोई समझ नह  होती है, इसिलए करोड़

               पढ़े-िलखे लोग अपने कारोबार म  तो सफल हो जाते ह , परंतु बाद म  वे पैसे क  तंगी से जूझते
               रहते ह  । वे और  यादा मेहनत करते ह , परंतु अपनी सम याओं से जीत नह  पाते । उनक  िश ा
               म  कमी यह नह  है िक उ ह  पैसा कमाना नह  िसखाया गया, बि क यह है िक उ ह  पैसा ख़च
               करने का तरीका नह  िसखाया गया- पैसा बनाने क े  बाद उसका िकस तरह इ तेमाल िकया
               जाए और उसे िकस तरह सँभाला जाए । इसे पैसे क  समझ कहते ह - पैसा एक बार कमाने क े
               बाद उसका  या िकया जाए, इसे अपने पास िकतने लंबे समय तक रोका जाए, और अपने पैसे से
               कड़ी मेहनत क ै से करवाई जाए ।  यादातर लोग यह नह  बता पाते िक उनक  पैसे क  तंगी का

               कारण  या है । ऐसा इसिलए होता है  य िक उनम  क ै श लो क  समझ नह  होती । कोई आदमी
               बह त पढ़ा-िलखा हो सकता है, अपने कारोबार म  सफल हो सकता है, परंतु हो सकता है िक
               उसम  पैसे क  िबलक ु ल भी समझ न हो । ऐसे लोग अ सर ज़ रत से  यादा कड़ी मेहनत करते
               ह   य िक उ ह ने कड़ी मेहनत करना तो सीखा है परंतु पैसे से अपने िलए कड़ी मेहनत करवाना
               नह  सीखा ।


               यह कहानी बताती है िक पैसे का सुख भरा सपना िकस तरह दुख भरे सपने म  बदल जाता
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