Page 125 - The Peeveeites 2016-17
P. 125
SHREYA SUMESH
VII
AadSa- Ca~
Aaja ka Ca~ kla ka naagairk hO । विद्यार्थी जीिन को मनुष्य के जीिन की आधयारविलया
कहया जयातया hO । आधयारविलया ्यवि दृढ़ है तो उस पर बनया हुआ भिन भी विकयाऊ और सर्या्यी होतया
है । इसी प्रकयार, ्यवि विद्यार्थी जीिन पररश्रम, अनुियासन, सं्यम और वन्यमन में व्यतीत हुआ है तो
वनश्च्य ही उसकया भयािी जीिन सुखि, सुंिर और पररियार, समयाज तर्या िेि के वलए कल्ययाणकयारी
वसद्ध होगया । है । इस सम्य िह वजन गुणों ि अिगुणों को अपनयातया है िही आगे चलकर चररत्र कया
वनमयामाण करते हैं । अत: विद्यार्थी जीिन सभी के वलए बहुत महतिपूणमा होतया है ।
भयारत-कोवकलया श्रीमती सरोवजनी नया्यडू ने एक बयार कहया र्या- “विद्यार्थी जीिन में बचचों कया
हृि्य कचचे घड़े के समयान होतया है । उस पर इस जीिन में जो प्रभयाि पड़ जयाते हैं, िे जीिन-प्ययंत बने
रहते हैं ।” ्यही िह सम्य है, जब विद्यार्थी अपने कोमल मन और मवसतषक को अंक ु ररत अिसर्या में
होने के कयारण वकसी भी वििया में मोड़ सकतया है ।
एक आििमा विि् ्ययार्थी िह है जो पररश्रम और लगन से अध्य्यन करतया है तर्या सि् गुणों को
अपनयाकर सि्यं कया ही नहीं अवपतु अपने मयाँ-बयाप ि विि् ्ययाल्य कया नयाम ऊँ चया करतया है । िह अपने
पीछे ऐसे उियाहरण छोड़ जयातया है जो अन्य विि् ्ययावर्मा्यों के वलए अनुकरणी्य बन जयाते हैं ।
एक आििमा विि् ्ययार्थी सिैि पुसतकों को ही अपनया सबसे अचछया वमत्र समझतया है । िह पूरी
लगन और पररश्रम से उन पुसतकों कया अध्य्यन करतया है जो जीिन वनमयामाण के वलए अत्यंत उप्योगी
हैं । इन उप्योगी पुसतकों में उसके विष्य की पुसतकों के अवतररक्त िे पुसतकें भी हो सकती हैं वजनमें
सयामयान्य ज्यान आधुवनक जगत की निीनतम जयानकयारर्ययाँ तर्या अन्य उप्योगी बयातें भो होती हैं ।
tHE PEEVEEITES 2016-17 123