Page 25 - Kendriya Vidyalaya, Pragati Vihar, New Delhi - E-Patrika
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क्रकताबें क ु छ कहना चाहती है पढना सीखें
क्रकताबें क ु छ कहना चाहती है..... आं ममलकर पढना सीखें
क्रकताबों में धचडड़या चहचहाती है तनत्य तनयम मलखना सीखें I
क्रकताबों में खेततयााँ लहराती है .... पढना जग में है दहतकारी
करो कभी नही इसमें लापरवाही I
क्रकताबों में झरने गुनगुनाते हैं
पररयों के क्रकस्से सुनाते हैं पढना है अनमोल रतन
क्रकताबों में रॉके ट का राज है करो कभी नही बुरे करम I
क्रकताबों में साइंस की आवाज़ है I अपना करना दुतनया में ऊाँ चा नाम
पढना-मलखना हमारा काम I
क्रकताबों का क्रकतना बड़ा संसार है
पढना-मलखना आएगा तभी
क्रकताबों में ज्ञान की भरमार है I
जब करोगे पढने का काम सभी I
क्या तुम इस संसार में
आं ममलकर पढना सीखे
नहीं जाना चाहोगे ?
तनत्य तनयम से मलखना सीखे I
क्रकताबें क ु छ कहना चाहती हैं
भावना मसंह, आठवी अ
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं I
गौरव क ु मार, आठवी अ
क ु ल्फी तुम बरसां ना
बादल बाबा ंले? न न पापा से जो पैसे मााँगो
क ु ल्फी तुम बरसां ना I लेते सदा उबासी,
पपस्ता, काजू, अखरोट की मम्मी कहती ठंडा खाने से
और मलाई वाली आयेगी खााँसी
ठंडी-मीठी, महक सररखी दादी खीजें, दादा चीखें
मनभावन, मतवाली I तुम तो प्यार जतां ना
नहीं ज़रा सी छत खाली है
खूब ढेर सी आाँगन खाली
चुपके हमें ददलां ना I तुम इसको भर जां ना
श्वेता धगल,सातवीं अ