Page 27 - Kendriya Vidyalaya, Pragati Vihar, New Delhi - E-Patrika
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पेड़ लगां मत काटो
पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ , पेड़ों को मत कािो भाई
हरे भरे ये लमत्र हमारे पेड़ हमें देते हैं खुशहाली
प्रक ृ ित को ये ही संिारे देते है हमें अनर्गनत उपहार
लमलकर इनक े गीत गाओ कफर क्यों हम है इन्हें कािते
पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ , पेड़ जीवित रहने का सहारा है
कड़क ध प सहते हैं ये पेड़ हमें देते हैं सजब्जयां
छाया हमको देते हैं ये पेड़ सदा लमत्र हैं हमारे
मीवे मीवे फल देते हैं इसललए पेड़ों को मत कािो भाई
हमसे नहीं कभी क ु छ लेते यहद काि देंगे हम पेड़
आओ इनका मान बढाओ तो ऱूव जाएूँगे ये हमसे
पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ , नहीं छोड़ेंगे ये ऑक्सीजन
संस्क ृ ित और सम्मान हमारे मर जाएूँगे कफर हम
देि और भगिान हमारे इसललए पेड़ों को मत कािो भाई
किने से इनको बचाओ पेड़ों को मत कािो I
पेड़ लगाओ, पेड़ लगाओ I ररमशला छठी अ
ररमशला छठी अ
जब से होश सम्भाला मैने
सपने
पास उसे हीपाया ,
मााँ जजतना उसके तनकट रही ह ू ाँ
उतना ही सुख पाया सपने होते है,
लोरी देकर मुझे सुलाती गूंगे – बहरे धचत्रकार
कभी कथा कहजाती ,
जो उक े रते है, मन क े क्षिततज से
देख के रोता चेहरा मेरा
उठते रंगीन बादलों को I
आाँखे उसकी ,भर जाती I
रंगों क े मुखौटो में तछपी
मन में दया आाँखों में करुणा
दबी ह ु ई आकांिाए
कभीकठोर हो जाती ,
तछटक जाती है, और हाँसती है
तछप जाती आाँचल में उसके
शजक्तहीन वास्तपवकतांं पर
जब भीबाररश आती I
कभीहसंती, कभी रुलाती, सपने होते है
ज्ञान मुझे करवाती अभी हमारे एकांत क े स्वामी
र्मा बड़ा न जात बड़ी बस तो मस्त कर देते है हमें
बड़ाकमा बताती I अन्र्कार में भी I
ंत – प्रोत पररपूणा जग में वे जब आते है
सूरत एक भी ऐसी,
तो बबन मोल आते है
मंददर में मूरत देखी जो
और जब जाते है
मााँ तुमभी हो वैसी I
तो अपनी उपजस्थतत की
छपव सैनी, ग्यारहवीं
भीनी गंर् छोड़ जाते है I
शब्दशः नेगी, आठवीं अ