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Young Minds Speak  Article

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          कु भ मेले क  भारतीय परंपरा मा  एक मेले के  प म  नह  वरन उ सव के  प म  मनाई जाती ह।ै  यह एक ऐसा

          मेला ह ै जहां लोग   ा के सागर म  उपासना क  डुबक  लगाते नज़र आते ह।   ले कन आज भी लोग पूण   प से
          कु भ मेले क  मा यता, इससे जुड़ े इितहास एवं मह व को समझ नह  पाये ह।   इतना ही नह , लोग शायद यह भी

          नह  जानते क  वा तव म   कतने कु भ मेले  चिलत ह   और  कतने मनु य जाित  ारा मनाए जाने के िलए
          अिधकृत ह।    यह एक ऐसा पव  ह ै जो िह द ू धम  के सबसे मह वपूण  पव  म  से एक ह।ै  ये मेला अपने पौरािणक

          इितहास के साथ-साथ कु भ पव   थल  के कारण भी काफ   िस  ह।ै
          भारत म  केवल चार ऐसे  थल ह   जहां कु भ मेले का एक बड़ े  तर पर आयोजन  कया जाता ह।ै  वैसे तो इस मेले से

          संबि धत कई पौरािणक एवं लोक  चिलत दतं  कथाएँ सुनने म  आती ह   ले कन सबसे पुरानी एवं मा यतानुसार
          सही माने जाने वाली कथा “समु  मंथन” से जुड़ी ह।ै  समु  मंथन के फल व प  ा  अमृत को पाने के िलए दवे

          तथा दानव  म  भीषण यु   आ और यह यु  पूरे बारह  दन  तक चलता रहा। यु  के दौरान कलश म  से पिव
          अमृत क  चार बूद   धरती क  ओर िगर गई। पहली बूंद  याग नगरी म   िगरी, तो दसू री िशव क  नगरी ह र ार

          म , तीसरी बूंद उ ैन, तो चौथी ने महारा  के नािसक क  ओर   थान  कया। यही कारण ह ै क  कु भ के मेले को
          इ ही चार  थल  पर आयोिजत  कया जाता ह।ै  इस कथा के अनुसार अमृत  ाि  के िलए दवे -दानव  म  पूरे बारह

           दन  तक यु   आ था। ले कन पृ वी लोक म   वग  लोक का एक  दन एक वष  के बराबर माना  जाता ह।ै  इसिलए
          कु भ भी बारह होते ह।   उनम  से चार पृ वी पर तथा शेष आठ कु भ दवे  लोक म  होते ह।   मनु य जाित को अ य

          आठ कु भ मनाने का अिधकार नह  ह।ै  यह  कु भ वही मना सकता ह ै िजसम  दवे ताओ के समान शि  एवं यश
           ा  हो। यही कारण ह ै  क शेष आठ कु भ केवल दवे  लोक म  ही मनाए जाते ह।ै

          कु भ मेले म  सूय  एवं  ह पित का खास योगदान माना जाता ह ै इसिलए इनके एक रािश से दसू रे रािश म  जाने
          पर ही कु भ मेले क  ितिथ का चयन  कया जाता ह।ै  मा यतानुसार जब सूय  मेष रािश और  ह पित कु भ रािश

          म  आता ह,ै  तब यह मेला ह र ार म  मनाया जाता ह,ै  परंतु जब  ह पित वृषभ रािश म   वेश करता ह ै और सूय
          मकर रािश म  तो कु भ का यह उ सव गंगा, यमुना और सर वती क  नगरी  याग म  मनाया जाता ह।ै  जब

           ह पित और सूय  दोन  ही वृि क रािश म   वेश करते ह ै तो यह मेला उ ैन म  मनाया जाता ह।ै   क तु जब
           ह पित और सूय   संह रािश म  होते ह   तब यह महान कु भ मेला महारा  के नािसक म  मनाया जाता ह।ै  कु भ

          मेले के दौरान खासतौर से िवशेष  ान ितिथय  का आयोजन  कया जाता ह।ै  मु त  के अनुसार खास ितिथयाँ
          िनकाली जाती ह ै िजसके आधार पर बड़ी सं या म    ालु  ान घाट पर एकि त होते ह   तथा अपने पाप  का

          िवसज न करते ह।
           यागराज म  “कु भ” कान  म  पड़ते ही गंगा, यमुना एवं सर वती का पावन सुर य ि वेणी संगम मानिसक पटल

          पर चमक उठता ह।ै  पिव  संगम  थल पर िवशाल जल सैलाब िहलौरे लेने लगता ह ै और हदय भि  भाव  से
          िव वल हो उठता ह।ै  इस वष  कु भ 15 जनवरी मकर सं ांित से  ार भ होकर 4 माच  िशव राि  के  दन संप

           आ।  मुख  ान पव  क  बात क  जाए तो मकर सं ांित के  दन यहां एक करोड़ से  यादा  ानाथ  पु य क
          आस म  संगम तट पर आए और सबसे  मुख पव  मौनी अमाव या पर तो 5 करोड़ से  यादा  ाना थ य  ने पिव

          संगम म  डुबक  लगाकर सभी क  त मान  को  व त कर  दया। 20,000 से  यादा सफाई कम चा रय  ने  दन-रात
           म कर के “ द  कु भ- व छ कु भ”  क  भावना को साकार  कया। उ र  दशे  के मु यमं ी माननीय योगी



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