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Young Minds Speak Poem
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मेरे दशे म बहती गंगा,
बहता पु का झरना ह।ै
चलते रहो, चलते ही रहो,
महान कैलाश क ंखला म ,
चलने म कैसा घबराना।
बसा मानसरोवर अपना ह।ै
चल चलकर ही चलना सीखे,
माँ अलकन दा के दश नाथ ,
वना चार पैर पर ही रह जाता ज़माना।
लगता यहाँ मेला ह।ै
पैदा ए माँ क गोद म कलकारी मारते ए
कह और नह यह पर ही
कुछ बड़ े ए तो घुटन पर ही िनकल पड़।े
माँ यमुना और संधु का डरे ा ह।ै
ऊँ गली पकड़कर चलना सीखा,
उ र म माँ गंगा का राज,
फ़र कैसे रोकेगा ज़माना।
िजनका दश न ही मो और क याण ह।ै
चलते रहो, चलते ही रहो,
दि ण दशा, माँ गोदावरी का बसेरा ,
चलने म कैसा घबराना।
यह पर 'हीर क नदी' कृ णा का भी डरे ा ह।ै
पापा ने उँगली दी, उसे छुडाकर भागे हम,
पूव दशा म दामोदर नदी का वास,
मौका आया पढ़ने का, तब रोते ए जागे हम।
िजनके चंड प से डरता सकल संसार ह।ै
पता नह कहाँ खो गया वो बचपन हमारा,
पि म म बहती बहन साबरमती और ता ी,
पढ़ाई तले दब गया या ज दी बड़ े होने म फँ स गया।
यह अठखेिलयां करती, नम दा क यारी लहर ह।ै
यह कहना मुि कल ह ै यार , इसिलए,
भारतमाता का मुकुट, िहमालयराज,
चलते रहो, चलते ही रहो,
अमरनाथ का पिव िनवास, ी कैलाश ह।ै
चलने म कैसा घबराना।
कंचनजंघा का अि तीय सौ दय ,
तो अ भुत, अचल वं यांचल ह।ै vfudsr pkSjfl;k
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दि ण भारत का ार, अरावली, बी॰एस॰सी॰, थम वष
तो व य िविवधता क शान पव त नीलिग र ह।ै
अंडमान ीप क शान स डल ंखला,
यह ह,ै माँ नंदा और िग र सतपुड़ा।
यहाँ छः ऋतु का बसेरा,
कह गम तो कह सद हवा का डरे ा ह।ै
कह िवशाल पहाड़, कह समतल मैदान,
कह सरोवर, तो कह थार रेिग तान ह।ै
इसक िविवधता म एकता, दखे सब घबराए,
आ चल युवा, सोच बदल और दशे बदला जाए।
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