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Young Minds Speak Poem
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कैसे भूलूँ साथ तु हारा,
मुझ पर था िव ास तु हारा।
नारी तुम,
हर गलती को गले लगाया,
कोमल कुसुम कािमनी सी।
हर अ छाई को सबको बताया।
क ठन काल म दािमनी सी।
चाय क चु क , शाम क म ती,
सहज सरल शािलनी सी।
अपना सावन अपनी क ती।
म या दा संग मािननी सी।
लंच म मेरा ट फन चुराना,
वामी संग सहभािगनी सी।
लास म मुझको खूब सताना।
ह र पग पर अनुगािमनी सी।
ए उदास हम ही यहाँ पर,
िसतार से सुंदर यािमनी सी।
नम आँख से गले लगाना।
म त मलंग गजगािमनी सी।
दखे ो सारे पूछ रह े ह,
को कल कंठ सुभािषनी सी।
चलो बता द अपना नाम।
साद रिचत कामायनी सी।
तुम थे सुबह बनारस वाले,
और म ँ लखनऊ क शाम।
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एम॰एस॰सी॰, ि तीय वष बी॰एस॰सी॰, थम वष
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