Page 5 - डिजिटल आरती संग्रह ऑडीयो बुक
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दवीची आरर्ी
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दुगे दुघाट भतरी र्ुजववण सुंसतरी।
अनतथ नतथे अुंबे करुणत ववस्ततरी।
वतरी वतरी जन्म मरणतुंर्े वतरी।
हतरी पिलो आर्त सुंकट डनवतरी॥१॥
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जय दवी जय दवी महहषत सुरमसथनी।
सुरवर ईश्र्वर वरद र्तरक सुंजीवनी॥धृ॥
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र्ुजवीण भुवनी पतहर्त र्ुज ऐसे नतही।
आरती
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ऐकण्यासाठी चतरी श्रमले परर्ु न बोलवे कतही।
येथे
क्लिक करा सतही वववतद कररर्त पिले प्रवतही।
र्े र्ू भक्ततलतगी पतवसी लवलतही॥२॥
प्रसन्न वदने प्रसन्न होर्ी डनजदतसत।
क्लेशतुंपतसूनी सोिवी र्ोिी भवपतशत।
अुंबे र्ुजवतचून कोण पुरवील आशत।
नरहरी र्ल्लीन झतलत पदपुंकजलेशत॥३॥
सदस्य : नशनल बोडड फॉर एमएसएमई ,भारत सरकार
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प्रदेश अध्यक्ष:भाजपा उद्योग आघाडी ,महाराष्ट्र