Page 32 - Sunil
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“ओह, यह तो बहुत अच्छा है। इसके ववषय में तो कोई बात नहीुं है।” देन्डखए, उन पि तो छाप हो च की है, औि वे छाप को
लेकि आगे ब़ि च के हैं। समझे?
156. अब, क्या आप समझते हैं, वक शेष बचे हुए यऺूदी क्या हैं, औि एक लाख चवालीस हजाि क्या हैं, ठीक इस समय
वे कहााँ पि बैठे हुए बार् जोह िहे हैं? क्या अब आप देखते हैं, वक वे मूखट क ुं वािी नहीुं किेंगी—तेल नहीुं लेंगी, औि उन्ें उठ
खडा होना होगा तावक उन्ें अलग वकया जाये, ऩॎयाय के वदन सही औि गलत को अलग अलग वकया जायेगा? क्या आप
समझते हैं, वक कब मूखट क ुं वािी ग्रहण किने लगती है, ठीक जैसा वक वह अब किती है,वक उसे इसकी आवषॎयकता थी, वह
इसके वलए गई थी, औि यही ठीक वह वमनर् था जब द ल्हा आ गया था? वफि तो हम वकतने नजदीक हैं? ठीक इस समय!
इस समय हमािे पास बहुत थोडा सा ही समय है। मैं नहीुं जानता ऺूाँ, वक यह वकतना अवधक हो। मैं नहीुं कह सकता हैं, यह
कब होगा; मैं-मैं नहीुं जानता ऺूाँ। हो सकता है, ऐसा अगले ही साल हो, हो सकता है, ऐसा अगले दस वषों में, चालीस वषों में
हो, शायद ऐसा चालीस वमनर्ोुं में हो जाये। मैं..मैं नहीुं जानता ऺूाँ; मैं नहीुं कह सकता ऺूाँ । पिन्त मैं जानता ऺूाँ वह घडी वनकर्
है, वह बहुत ही वनकर् है। औि प्रभ का आत्मा.......
157. अब, पहली बात आप जानते हैं, वक यह उस समय पि होगा जब कलीवसया में बस ठुंडापन आने लगता है। अब,
वकतने लोगोुं ने कलीवसया में ठुं डकपने का वपछले क छ वषों में ध्यान वदया है? वनिय ही ! यह वकसकी ओि ब़िती चली जा
िही है? लौदीवकया की ओि! आज िावज हम इसका अध्ययन किेंगे, औि लौदीवकयायी कलीवसयायी काल के स समाचिदूत
को उजागि किेंगे, हम इसे उजागि किेंगे तावक आप इसे देख सकें , औि उसके सन्देश को देख सकें , औि यह देख सकें ,
वक यह क्या होगा, औि लौदीवकयायी कलीवसयायी काल के अुंत पि जब वह अध्यािोवपत होती है, तो वह आगे ब़िकि
अनन्तता में ही चली जाती है।
158. ओह, मैं उससे प्रेम किता ऺूाँ ।क्या आप नहीुं किते हैं? जी हााँ,श्रीमान! ओह....पिमेश्वि की मोहि क्या...क्या है?
पववि आत्मा! पश की छाप क्या है? इसको ठ किाया जाना। ये ही वे दो हैं। एक तो देखा जाना है, औि...ठीक है, वे हैं....औि
पृथ्वी पि वकतने ऐसे थे वजनपि यह लगी हुई नहीुं थी? वे सब वजनपि पश की छाप की मोहि नहीुं हुई थी। वे सब वजन पि
पिमेश्वि की छाप नहीुं थी उनपि पश की छाप थी। पिमेश्वि की छाप पववि आत्मा है। बाइवबल ऐसा ही कहती है। जहााँ कहीुं
भी पववि वचन इसके ववषय में कहता है हि बाि वह कहता है, वक एक पश की छाप है, एक पिमेश्वि की छाप है। औि वे
सब वजन पि यह नहीुं थी, ये वे थे वजन्ोुंने इसे ठ किा वदया था। औि उन्ोुंने इसे कै से ठ किा वदया था? इसे स नने से इन्काि
किने के द्वािा। क्या यह सही है?
159. अब, आप याद िखें, आप ववश्वास कै से पाते हैं? स नने के द्वािा। इसकी मोहि कहााँ पि की गयी थी? क्या हाथ पि?
जी नहीुं! क्या वसि पि? जी नहीुं! कान में! समझे? कान पि इसे वकया गया था, यह स नना है। इसने क्या वकया था? स नना ही
बुंद हो गया था। आप कहते हैं, “औि अवधक नहीुं है—यह मेिे वलए औि अवधक नहीुं है। मैं इससे अऩॎय क छ भी नहीुं किना
चाहता ऺूाँ। यह बस उनके जैसा ही होता है......” भाई नेववल, मैं...मैं... मैं...मैं इसे तब तक के वलए जाने दूुंगा जब तकक छ... मैं
आपको इसके ववषय में बताने जा िहा था, वक वजन्ोुंने एक बाि ज्योवत पायी...(समझे आप?) उनके वलए स्वगीय िाज्य के
अन्दि आना अनहोना है। क्या आप समझे? ये उन ववश्वावसयोुं के जैसे होते हैं जो एक सीमािेखा तक आते हैं। देखा? क्योुंवक
वजन्ोुंने एक बाि ज्योवत पाई है,.... औि पववि आत्मा के भागी हो गए हैं। ...औि आनेवाले य ग की सामथों का स्वाद चख
च के हैं.... यवद वे भर्क जाएुं ; तो उन्ें मन वफिाव के वलये वफि से नया बनाना अनहोना है; क्योुंवक वे पिमेश्वि के प ि को
अपने वलए वफि िू स पि च़िाते हैं औि प्रकर् में उस पि कलुंक लगाते हैं। ... .औि लोऺू की उस वाचा को त च्छ समझते हैं
वजसके द्वािा उसका पवविीकिण हुआ, ऐसा किके वे उसे अपववि वस्त ठहिाते हैं.... देन्डखए, जो च ना हुआ है, उसके वलए
ऐसा किना वबलक ल असम्भव है। समझे? क्योुंवक वह ऐसा कि ही नहीुं सकता। समझे? पिन्त वह जो लोऺू की वाचा को
त च्छ समझ िहा है....अब, आप देखते हैं, यवद वह च ना हुआ है औि उस झ ुंड में है, तो वह ऐसा कि ही नहीुं सकता है।
उसके वलए ऐसा किना वबलक ल असम्भव है।
160. अब, हम इस बात को ले च के हैं औि इसे लेकि यहााँ नीचे तक आ च के क्योुंवक जो भूवम वषाट के पानी को जो उस
पि बाि बाि पडता है....झाडी औि ऊर्कर्ािे उगाती है, तो वनकम्मी औि स्रावपत ठहिती है....औि उसका अुंत जलाया जाना
है। पिन्त यह जीवनदायक वषाट गेऺूाँ औि ऊुं र्कर्ािे दोनोुं पि ही पडती है। जब वे वषाट को आते हुए देखते हैं, तो वे दोनोुं ही
आनन्द मनाते हैं औि उसके ववषय में ठीक एक सा ही अन भव किते हैं। पिन्त उनके फलोुं से त म उन्ें पहचान लोगे, वक
उन पि ऊुं र्कर्ािे के फल लगे हैं, या गेऺूाँ के फल लगे हैं, या उन पि गेऺू के दाने लगे हैं।
161. अब, यहााँ वह बात है जो इसे स्पि किती है। अब, आप को यह वदखाने के वलए, वक यह सीमािेखीय ववश्वासी
कहााँ....कहााँ पि यह....मैं इस क ुं वािी को आपके समक्ष लाने का यत्न कि िहा ऺूाँ वजससे आप...आप इसे समझ जायेंगे। अब,
देन्डखए, इन सीमािेखीय ववश्वासी में ....आप देन्डखएगा उसके साथ तब क्या होता है जब वे, अथाटत् इस्राएल की सन्तान कादेश-
बवनटया पहुाँचते हैं। मैंने इसे उत्पवि में से आगे औि पीछे से औि वनगटमन में से आगे औि पीछे से तथा अऩॎय सभी जगह से