Page 13 - RISE JANUARY 2024
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वह ह मरी म ाँ
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मर सर्वस्र् की पहचान
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अपन आँचल की द छाँर्
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ममता की र्ो लोरी गाती
मर सपनों को सहलाती
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गाती रहती, मुस्कराती जो
र्ो ह मरी माँ।
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पहली धड़कन भी मरी धड़की थी तेर भीतर ही,
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जमी को तेरी छोड़ कर बता फिर मैं जाऊ कहां.
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आंखें खुली जब पहली दिा तेरा चहरा ही ददखा,
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जजंदगी का हर लम्हा जीना तुझस ही सीखा.
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प्यार समट सीन में जो
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सागर सारा अश्कों में जो
हर आहट पर मुड़ आती जो
र्ो ह मरी माँ।
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