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Annual Report 2021-22 |


               साराांश





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               सीएसआईआर-जीनोमिकी एवं सिवेत जीवववजान संस्थान (आईजीआईबी) की पररकल्पना 1977

                                                                              ै
                                                                ें
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                                                        े
                 ें
               ि जैवरसायन प्रौद्योधगकी कद्र (सीबीटी) क ऱूप ि की गई थी। वववध्यपूण भारतीय जनसंख्या
                                                                                       ष
               से जीनोमिकी डेटा हामसल करने की आवश्यकता को जल्द ही िहसूस ककया गया और 2002
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                                                                                               ष
                                                                                          ं
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               ि सीबीटी को आईजीआईबी ि ऱूपांतररत कर ठदया गया। बह-सांस्थातनक कसोठटयि इंडडयन
                                                                            ु
               जीनोि वैररएशन प्रोजेक्ट  ब्जसने  वेररएंट  -  एसएनपी, सीएनवी, और  लगभग  1000  जीनों  ि
                                                                                                          ें
               दोहराव की िैवपंग की है, क े साथ शुरुआत करते हए आईजीआईबी ने ववगत बीस वर्ों ि पयाषप्त
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               कायष ककया है और 2022 ि इंडडजेन प्रोजेक्ट क भाग क ऱूप ि 1000 भारतीय जीनोि की
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               सीक्वमसंग की ह।
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               एक जीनोमिकी अनुसंधान इकाई क ऱूप ि अपनी स्थापना क बाद से, आईजीआईबी ने नई
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               प्रौद्योधगककयां अपनाकर वब्श्वक अनुसंधान प्रगतत क साथ तालिेल बिाते हए न कवल अपने
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                                                                                         ु
               अनुसंधान क्षक्षततज को और अधधक व्यापक बनाया ह, बब्ल्क आधारभूत जैववक अनुसंधान ि
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               ववकमसत  हई  अवधारणाओं  को  स्वास््य दखभाल  क  क्षेत्र  िें  व्यावसातयक  ऱूप  से  व्यवहायष
                                                                   े
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               प्रौद्योधगककयों  का ववकास करने क मलए ऱूपांतररत करने क अपने  प्रिुख  उद्दशय  को  भी
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                                                      ष
               कायि रखा ह। संस्थान क ववववधतापूण अनुसंधान ववर्यों ने वज्ञातनक अनुसंधान क ववकास
               और प्रभाव को प्रोत्साठहत ककया ह जो िहािारी क सवाषधधक ववर्ि ठदनों ि भी दृढता और
                                                                 े
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               भरोसे का स्तंभ मसद्ध हआ ह।
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                                                                                       े
               सांस्क ृ ततक और आनुवमशक ऱूप से अत्यंत ववववध भारतीय जनसंख्या क िध्य आनुवमशक
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               कारकों की पहिान करने ि आईजीआईबी अग्रणी रहा ह।
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               इन तनष्ट्कर्ों की ववववक्षाएं दुलषभ आनुवमशक रोगों, तंत्रत्रका-संबंधी रोगों, हीिोग्लोत्रबनोपैथी और
               हृदय रोगों क तनवारण मलए पहिानी गई हैं। नैदातनक रोग जानकारी और आदशष प्रणामलयों क
                                                                                                         े
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               संयोजन  क  साथ    ओमिक्स  (जीनोमिक्स, प्रोठटओमिक्स, और  मलवपडोमिक्स)  दृब्ष्ट्टकोण  का
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               उद्दश्य हृद्य-श्वसन रोगों को सिझना ह। संस्थान ि सृब्जत होने वाले जीनोमिक्स डेटा क
                                                                    ें
               टराबाइट्स की डडकोडडंग क बाद, इसे आनुवमशक रोगों, हृदयवाठहका रोगों, कसर, तपेठदक और
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               अब कोववड-19 क अनुसंधान फ़नलों ि शामिल ककया जाता ह। बैक्टीररया (तपेठदक) और फगल
               संक्रिणों क रोगजनन को सिझना, ब्जसि सूक्षिजीवीरोधी प्रततरोध,  जीनोमिक्स और रोग
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