Page 36 - THE ZEENAT TIMES
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" मेरी प्यारी मैगजीन " "दग और मारा भारत "
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इस बार अपना भी था एक पक्का दश म अजीब बवाल उठा था,
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इरादा ।
पक्ष और ववपक्ष म सवाल उठा था ।
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मैगजीन क मलए आदटकल दने ह
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ज्यादा स ज्यादा ।। ववरोध प्रततरोध और दहिंसा होने लगा,
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क्योकक यह मौका नहीिं ममलता ह हाथों म लाठी, दााँव पर ततरगा लगा ।
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बार-बार ।
धममतनरपेक्ष दश म धमम ही मुद्दा बना,
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इसक मलए करना पड़ता ह साल
भर इतजार। । अदहिंसाकारी दश ने ही दहिंसा को चुना।
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तभी आदटकल दने की अिंततम घडी
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समानताओिं क दश म ही असमानताओिं की बात उठी,
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पास आयी ।।
अचधकार सम्पन्न दश की जनता अचधकार पाने म
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हमारी तो भूख प्यास नीिंद भी
उड गई । जूटी।
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रात ददन आता था बस मैगजीन क्या इस ददन क मलए, दी थी क ु बातनया और जान।
का ख्याल ।।
कसे रख धैयम जब दााँव पर लगी हो दश की शान,
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परीक्षा क ददनों स भी बुरा
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था हाल । आवश्यकता ह, गााँधी क मसद्ािंतों को दोहराने का।
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जो मन म आशा क नए-नए उनकी दी हई मशक्षाओ को अपनाने का,
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दीप जलाते ह ।
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दश वामसयों को करना होगा पुनववमचार,
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शुऱू ककया मैंन मलखना, ल
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ईश्वर का नाम ।। करने होंग तनत- नय सुधार।
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पर क ु छ मलखना, कहााँ था ववरोधी ऱूप गााँधी हो, मसयासी ऱूप अम्बेडकर,
इतना आसान काम।
आपसी ववचार-ववमशम से चलना होगा हमे ममलकर।
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सुनती रही सुबह स शाम
तक कववता कव्वाली। । तब होगा समस्याओिं का समाधान,
और कफर हार कर अपने ही
और गूाँज उठगा मरा भारत महान। -------------
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ववचारों पर कववता मलख डाली।
मरा मोईन अ मद
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कक्षा- ९ िी एफ