Page 37 - THE ZEENAT TIMES
P. 37

स्क ू ल की याद  ें                                          मारा झणडा


      याद बहत आएगा स्क ू ल का वो ददन                                                दखो बच्चों झिंडा प्यारा
                                                                                     े
             ु


      भूल ना भुला जाएगा स्क ू ल का वो ददन                                          तीनों रगों का मेल न्यारा
                                                                                         िं
         े

                                                                                    सदा रह यह झिंडा ऊचा
                                                                                           े
                                                                                                     िं

      जहााँ हर वक्त मस्ती थी,
                                                                                 आकाश को सदा रह यह छ ू ता
                                                                                                  े

      और बस दोस्तों की चलती  थी।                                                 सदा करो तुम इसका सम्मान,


                                                                                 कभी ना करना इसका अपमान
      क्लास में छ ु प छ ु प कर खाना था
                                                                                    झिंडे से ही दश की शान
                                                                                               े

      और टीचर से पकड़े जाने पर, बहत बहाना था ।
                                    ु
                                                                                          े
                                                                                    बना रह यह सदा महान

                                                                                        म ात्मा गांधी
      वे भी क्या दोस्त थे,जो हम नीिंद आन पर,
                               ें
                                        े

                                                                      आजादी का सपना मलए आया एक फररश्ता,
      टीचर से छपा क े सुलाते  थे,
                 ु
                                                                      एक ही हचथयार उसका, अदहिंसा और एकता।
      और गलती करन पर हम भी साथ फसाते थे।
                     े
                             ें

                                                                           े
                                                                      जजसक बल पर जीत ली स्वतिंत्रता,
                                                                      कहलाए  राष्ट्रवपता व महात्मा।।
      दोस्तों क े पेन से मलखने में मजा आता था,


                                                                                   ें
      और मलखते मलखते तोड़ दन में हमारा क्या जाता था।                   जब चिंपारण म ककसान और मजदूर,
                               े
                              े

                                                                      थे, नील की खेती करन को मजबूर।
                                                                                          े

      वो पेन फाइदटिंग और बोररन्ग पीररयड का जमाना था                   तब सत्याग्रह चलाकर ककया

      और इिंटरवल होन पर, खेलन बाहर तनकल जाता था।                      उनकी समस्याओिं को दूर।।
                                े
                      े
                                                                      असहयोग आिंदोलन चलाकर


      याद बहत आयेंगे स्क ू ल क े वो ददन                               लगा दी  दुश्मन क ददलों म आग

             ु
                                                                                       े
                                                                                               ें
      भूल न भुला जाएगा, स्क ू ल का वो  ददन
         े
                                                                      कहािं, करो सभी ववदशी वस्तुओिं का त्याग।
                                                                                       े
                                            नाम- अनम फार्तमा
                                                                      तभी ममलेगा स्वराज।।
                                                 कक्षा- Xll -I
                                                                       जब अिंग्रेजी  सरकार ने नमक सिंबिंधी अचधकार जोड़ा,

                                                                      तब, गाधीजी न दाडी म नमक बनाकर कानून तोड़ा।।
                                                                                      िं
                                                                                   े
                                                                                          ें
                                                                            िं
                                                                      अिंग्रेजों भारत छोड़ो का ददया नारा
   32   33   34   35   36   37   38   39   40   41   42