Page 28 - AUGUST 2020HTML
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प्रवचन ...


                                                                        ै
                                                                                                       ै
                                         े
               सुख पाना चाहत हो, तो मोिाइल, लपटॉप, फा्ट फ ू ड जसरी
                     चरीजों को छोड़ो :आचाय श्री त्वद्ासागरजरी महाराज
                                                            या


                                    े
                             चाय श्ी न कहा कक हर वयकति सुखी होना
                                ्व
                             चाहता है, पर काय दुखी होन क करता है।
                                                  े
                                         ्व
                                                े
          आ सुख पाना चाहत हैं तो मोबाइल, लपटॉप,
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                                                     ै
          फासट फ ू ड जैसी चीजों का तयाग करना होगा। जो गुरु की धरकन और
                     े
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          राणी को पा लगा, गुरु क रचनों को अपनाकर अक्षरशः पालन कर
                                                   े
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          लगा, रह इंसान जीरन में सफल और सुखी होगा। मुकनश्ी न कहा कक
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          भकति अंिी होना चाकहए। सािुओं की संगकत से हम संत बन या ना
          बन पर संतोरी अरशय बन सकत हैं। सार िमचों का मूल भी गुरु भकति
                                      े
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          ही है। सचचे मन और सचची श्दा से की गई गुरुभकति से सार प्रकतक ू ल
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          कम्व भी अनुक ू ल बन जात हैं।
          इस अरसर पर सभागृह में उपकसथत श्दालुओं को माग्वदश्वन देत हुए
                                                      े
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          आचायश्ी करद्ासागरजी महाराज न कहा कक हमें अकहंसा की जड़ों
          को बचाना होगा। रतमान में भौकतकता की चकाचौंि में करकास कम
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          और करनाश जयादा हो रहा है। आजकल हमारी सोंच यह हो गई है
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          कक बठ-बठ काम कमल जाए। पहल क युग में अकतकथ सतकार होता
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          था, आज हम दूसरों पर आकश्त होत जा रहे हैं। जैसा हमन बोया रैसा   जो गलत है। सब जीरों का उदार हो ऐसे काम और ऐसी भारनाओं
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          काटा कया आप इस बात को मानते हैं?                       से उदार होगा।
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          हमार पुरान संसकारों क कारण क्याण हो सकता है। अपन जीरन   सबक प्रकत दया, करुणा, प्रम का भार रखेंगे तो सतयुग आन में भी देर
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                                                                    े
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                                                                                                          े
          को सुखी करना है तो पूर्वजों विारा ककए गए करचारों को आतमसात   नहीं लगेगी। पहल क युग में राजा क दरबार में चोर भी सतय बोलता
                                                                               े
                                                                             े
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          करना पड़गा। आज श्म क कारण छोट-छोट देश आगे बढ़ गए हैं    था, आज साहठूकार भी झूठ बोलता है। आज हम मोटा खात हैं, मोटा
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                 े
                                                                                                          े
          और हम श्म और युकति से रंकचत रहना चाहत हैं। जब तक श्म नहीं   पहनत हैं, और सूक्म सोचत हैं। प्रकृकत का कनयम है कजतना पसीना
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                                                                                     े
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          करगे, मुख मीठा नहीं होगा। आज हम श्म से बचचों को बचा रहे हैं,   बहाएंगे, सीना उतना ही तनेगा।
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              28  Vidya Shodh Patrika  August , 2020
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