Page 39 - Prayas Magazine
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एक ही रि का खून है सबमें सच्िा ये प्रमाण है,
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एक खून
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हाड़ मास क े पुतले में कोई चहड़दू,न मुसलमान है।
ईश्वर क े हैं खेल चखलोने,
जि को ये महकाते है,
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एक नूर की सब सतानें,
सब चमल देश बनाते है।
मुहूँ पर नहीं चलखा चकसी भी मजहब का नाम है,
हाड़ मास क े पुतले में कोई चहड़दू,न मुसलमान है।
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सबकी रिना बनी एक सी,
सबमें एक ही सी जान है,
बिपन यौवन और बुढ़ापा,
आये जाये एक समान है,
भेद करे जो मानवता से तो ईश्वर का अपमान है,
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हाड़ मास क े पुतले में कोई चहड़दू,न मुसलमान है।
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सुबह सवेरे सब पछी आते,
सबक े घर का खाना खाते ,
रोज़ दुआए दे कर जाते हैं,
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कल आएिे कह उड़ जाते,
रि,नस्ल,जात,वेश,भूषा से उनकी न कोई पहिान है,
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हाड़ मास क े - पुतले में कोई चहड़दू,न मुसलमान है।
माधवी शमाष,
यूचनयन बैंक ऑफ इचिया
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