Page 34 - Prayas Magazine
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एक चदया ऐसा चजसकी बाती ह ूँ मैं.....




                                                       एक चदया ऐसा चजसकी बाती हूँ मैं

                                                                   ं
                                      बहता है चजसमें प्यार का समदर, उस

                                       प्यार ऱूपी तेल से ही जिमिाती हूँ मैं,

                                      एक चदया ऐसा चजसकी बाती हूँ मैं।




                                         चदन-महीने-साल नहीं चजसकी पल-पल की सार्ी हूँ मैं,
                                                                       ं

                                 होकर अपने वजूद से जुदा हर बार उससे यू जुड़ जाती हूँ मैं,

                                           एक चदया ऐसा चजसकी बाती हूँ मैं।


                                             यूूँ तो जलती हूँ हर पल एक सुलिती सी लो में,


                                     चजसक े  कारण इस जलन को बुझा पाती हूँ मैं,


                                           एक चदया ऐसा चजसकी बाती हूँ मैं।
                                        कभी दूर तो कभी करीब सा लिता है वो,


                                   क े  चबना िोर ही उसकी ओर खींिी जाती हूँ मैं,

                                           एक चदया ऐसा चजसकी बाती हूँ मैं।


                                                    बेजान - बेकार सी हो जाती हूँ चबना उसक े ,
                                               सार् चजसक े  होने से खुद को मजबूत पाती हूँ मैं,


                                               एक चदया ऐसा चजसकी बाती हूँ मैं।



                                                                 ं
                                         हसीं शाम क े  जैसा है चजदिी में वो मेरी,
                                                  दूर हो एक पल तो मायूस सी ढल जाती हूँ मैं,

                                                एक चदया ऐसा चजसकी बाती हूँ मैं।









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