Page 31 - Prayas Magazine
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        िद्रचबदु (' ाूँ ') या अनुनाचसक
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        जब चकसी स्वर का उच्िारण मुख और नाचसका दोनों से चकया जाता है तब उसक े  ऊपर िद्रचबदु (ा) लिा चदया
                                                                                                     ूँ
                                                                                                ं
                                                                           ं
        जाता है। वह अनुनाचसक स्वर कहलाता है। अनुनाचसक चिि 'ाूँ' को िद्रचबदु कहते हैं। जैसे:- िाूँद, साूँझ, आूँख, िाूँव,
                                                                       ं
        हूँसना, आचद। यचद चशरोरेखा क े  ऊपर चकसी मात्रा का प्रयोि हुआ हो तो स्र्ान की कमी को देखते हुए इस चस्र्चत
               ं
                                   ं
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        में िद्रचबदु 'ाूँ' की जिह पर चबदु 'ां' का भी प्रयोि होता है। जैसे:- मैं
        चवसिष (' ाः ')
        इसका उच्िारण ह् क े  समान होता है। (जहाूँ 'ह' ध्वचन सघोष है वहीं चवसिष ध्वचन अघोष है) इसका चिि ( ाः ) है। जैसे:-
        अतः, प्रायः।

        हल चिि (' ा् ')

        जब कभी व्यजन का प्रयोि स्वर से रचहत चकया जाता है, तब उसक े  नीिे एक चतरछी रेखा (ा) लिा दी जाती है। यह
                                                                                            ्
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        रेखा हल कहलाती है। व्यजन से अत होने वाला शधद हलत शधद कहलाता है। जैसे:- जित्।
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        नुिा (' ा  ')
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        चहदी भाषा में अरबी और फ़ारसी भाषाओं से आए हुए क ु छ शधदों को देवनािरी में चलखने क े  चलए क ु छ वणों क े  नीिे
              ं
        एक चबदुनुमा चिि ('ा ') का उपयोि चकया जाता है उसे ही नुिा कहते हैं। (जैसे क़, ख़, ग़, ज़, फ़ आचद)। नुिा का
        प्रयोि मुयायतः वणष क े  सामाड़य से चभड़न उच्िारण पर आधाररत है।


        वतषनी (वणषचवड़यास)

        चकसी भी भाषा की वतषनी का अर्ष उस भाषा में शधदों को वणों क े  चनचित अनुक्रम से अचभव्यि करने की चक्रया को
        कहते हैं। भाषा क े  प्रत्येक शधद की एक अपनी चनचित वतषनी होती है। चकसी भी भाषा को उसकी चलचप क े  माध्यम
        से उस भाषा क े  वणों को एक चनचित क्रम में चलखकर कोई शधद चनऱूचपत चकया जाता है तो वही वणषचवड़यास उस

        शधद की वतषनी कहलाता है। जैसे:-

        शधद  वतषनी ( वणषचवड़यास )

        दल     द + ल
        दाल  द + ाा + ल

        आज  आ + ज
        समय  स + म + य
        अमर  अ + म + र

        शीतकाल        श + ाी + त + क + ाा + ल























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