Page 26 - Prayas Magazine
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           क ु ल 52 वणष = (99 मूल स्वर ) + (33 मूल व्यजन ) + (2 उचत्क्षि व्यजन ) + (2 अयोिवाह ) + (4 सयुिाक्षर
                                                                                                     ं
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           व्यजन )
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         वणष (Characters/Letters )
              चहदी भाषा में प्रयुि एकल चलचप चिि वणष कहलाता है।
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             जैसे:- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, क, ख आचद।


        वणषमाला

        वणों क े  समुदाय को ही वणषमाला कहते हैं। चहदी वणषमाला में 52 वणष हैं। उच्िारण और प्रयोि क े  आधार पर चहदी
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                                                                                                           ं
        वणषमाला क े  दो भेद चकए िए हैं:-
        9. स्वर (Vowels)

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        2. व्यजन (Consonants)
         स्वर

                  चजन वणों का उच्िारण स्वतत्र ऱूप से होता हो और जो व्यजनों क े  उच्िारण में सहायक हों, वे स्वर कहलाते
                                                                 ं
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        हैं। ये सयाया में 99 हैं - अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ। (चहदी मे 'ऋ' का उच्िारण स्वर जैसा नहीं होता। इसका प्रयोि
        क े वल सस्क ृ त तत्सम शधदों में होता है।)
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        उच्िारण क े  समय की दृचष्ट से स्वर क े  तीन भेद चकए िए हैं-

        9. ह्रस्व स्वर


        2. दीघष स्वर

        3. प्लुत स्वर

        9. ह्रस्व स्वर

        चजन स्वरों क े  उच्िारण में कम समय लिता है उड़हें ह्रस्व स्वर कहते हैं। जैसे:- अ, इ, उ। इड़हें मूल स्वर भी कहते
        हैं।

        2. दीघष स्वर

                                                                                             ं
        चजन स्वरों क े  उच्िारण में ह्रस्व स्वरों से अचधक समय लिता है, उड़हें दीघष स्वर कहते हैं। ये चहदी में सात (7) हैं:-
        आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ

        चवशेष:- दीघष स्वरों को ह्रस्व स्वरों का दीघष ऱूप नहीं समझना िाचहए। यहाूँ दीघष शधद का प्रयोि उच्िारण में लिने
        वाले समय को आधार मानकर चकया िया है।

        3. प्लुत स्वर

          चजन स्वरों क े  उच्िारण में दीघष स्वरों से भी अचधक समय लिता है, उड़हें प्लुत स्वर कहते हैं। जैसे सुनो ऽ ऽ।














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