Page 25 - Prayas Magazine
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देवनािरी चलचप
भाषा को चलचपयों में चलखने का प्रिलन भारत में ही शुऱू हुआ। भारत से इसे सुमेररयन, बेबीलोनीयन और
यूनानी लोिों ने सीखा। प्रािीनकाल में िाह्मी और देवनािरी चलचप का प्रिलन र्ा। िाह्मी और देवनािरी
चलचपयों से ही दुचनयाभर की अड़य चलचपयों का जड़म हुआ। िाह्मी चलचप एक प्रािीन चलचप है चजससे कई
एचशयाई चलचपयों का चवकास हुआ है। िाह्मी भी खरोसॎठी की तरह ही पूरे एचशया में फ ै ली हुई र्ी। ऐसा कहा
जाता है चक िाह्मी चलचप 98,888 साल पुरानी है लेचकन यह भी कहा जाता है चक यह चलचप उससे भी ज्यादा
पुरानी है।
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देवनागरी चलचप में अनेक भारतीय भाषाएूँ तर्ा कई चवदेशी भाषाएूँ चलखी जाती हैं। यह बाए से दाए चलखी
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जाती है। देवनािरी चलचप में प्रत्येक शधद क े ऊपर एक रेखा चखिी होती है (क ु छ वणों क े ऊपर रेखा नहीं
होती है) इसे चशरोरे खा कहते हैं। यह एक ध्वड़यात्मक चलचप है अर्ाषत जैसे बोला जाता है वैसा ही चलखा जाता
है जो प्रिचलत चलचपयों (रोमन, अरबी, िीनी आचद) में सबसे अचधक वैज्ञाचनक है।देवनािरी का चवकास िाह्मी
चलचप से हुआ है। सस्क ृ त, पाचल, चहदी, मराठी, कोंकणी, चसधी, कश्मीरी, िोिरी, खस, नेपाल भाषा (तर्ा
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अड़य नेपाली भाषाएूँ) िढ़वाली, बोिो, अचिका, मिही, भोजपुरी, नािपुरी, मैचर्ली, सर्ाली, राजस्र्ानी
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आचद भाषाएूँ और स्र्ानीय बोचलयाूँ भी देवनािरी में चलखी जाती हैं। इसक े अचतररि क ु छ चस्र्चतयों
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में िुजराती, पजाबी, चबष्ट्णुपुररया, मचणपुरी, रोमन और उदूष भाषाएूँ भी देवनािरी में चलखी जाती हैं। देवनािरी
चवश्व में सवाषचधक प्रयुि चलचपयों में से एक है।
भाषावैज्ञाचनक दृचष्ट से देवनािरी चलचप अक्षरात्मक चलचप मानी जाती है। चलचप क े चवकाससोपानों की दृचष्ट
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से "चित्रात्मक", "भावात्मक" और "भावचित्रात्मक" चलचपयों क े अनतर "अक्षरात्मक" स्तर की चलचपयों का
चवकास माना जाता है। पािात्य और अनेक भारतीय भाषा वैज्ञाचनकों क े मत से चलचप की अक्षरात्मक अवस्र्ा
क े बाद अल्फाबेचटक (वणाषत्मक) अवस्र्ा का चवकास हुआ। सबसे चवकचसत अवस्र्ा मानी िई है ध्वड़यात्मक
(फोनेचटक) चलचप की। "देवनािरी" को अक्षरात्मक इसचलए कहा जाता है चक इसक े वणष- अक्षर हैं- स्वर भी
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और व्यजन भी। "क", "ख" आचद व्यजन सस्वर हैं- अकारयुि हैं। वे क े वल ध्वचनयाूँ नहीं हैं अचपतु सस्वर
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अक्षर हैं।
देवनािरी चलचप में क ु ल 52 वणष हैं, चजनमें 11 मूल स्वर वणष चजनमें से )'ऋ' का उच्िारण अब स्वर जैसा नहीं
होता(, 33 मूल व्यजन, 2 उचत्क्षि व्यजन, 2 अयोिवाह
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और 4 सयुिाक्षरव्यजन हैं ।
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क ु ल 52 वणष=(11 मूल स्वर ) +(33 मूल व्यजन )+(2 उचत्क्षि व्यजन )+(2 अयोिवाह )+(4 सयुिाक्षर
व्यजन )
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