Page 20 - Prayas Magazine
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           एक ओर जहाूँ यूचनकोि क े  प्रयोि ने चहदी क े  प्रयोि को आिे बढ़ाने में महत्वपूणष योिदान चदया है
           वहीं आज भी चसस्टम जेनरेटेि प्रोग्रामों में चहदी की चस्र्चत क ु छ अच्छी नहीं है ।
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           अचधकतर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम पहले ही तैयार कर चलये जाते हैं, उसक े  बाद उनमें चहदी की सुचवधा तलाश की

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           जाती है । इसक े  बावजूद भी यह सतोष का चवषय है चक भाषा क े  प्रिार–प्रसार में सूिना प्रौद्योचिकी की भूचमक
                                                                                ं
           अहम हो ियी है व भाषाओं क े  मानकीकरण का कायष आसान हो िया है । चहदी यूचनकोि क े  अचस्तत्व में आने
           क े  बाद अब हर कप्यूटर, लैपटॉप, स्माटष-फोन आचद पर भी चहदी में काम करना व करवाना कोई बड़ा मुद्दा नहीं
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           रह िया है । यूचनकोि एक अतराषष्ट्ट्रीय मानक कोि है चजसमें चहदी व अड़य भारतीय भाषाओं सचहत चवश्व की
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           अनेक भाषाओं क े  चलये कोि चनधाषररत चकए िए हैं । िूूँचक कप्यूटर मूल ऱूप से चकसी भाषा से नहीं बचल्क अकों
                                                                 ं
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           से सबध रखता है इसचलये हम चकसी भी भाषा को एनकोचिि व्यवस्र्ा क े  तहत मानक ऱूप प्रदान कर सकते
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           हैं । सार् ही इसी आधार पर उनक े  चलये फॉडट भी चनचमषत चकये जा सकते हैं ।जैसे अग्रेज़ी भाषा अर्वा रोमन
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           चलचप क े  चलये एररयल फॉडट की एनकोचिि की ियी है, उसी तरह चहदी और अड़य भारतीय भाषाओं क े  चलये
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           चनचमषत आधुचनक यूचनकोि फॉडट्स की भी एनकोचिि की ियी है चजसे अतराषष्ट्ट्रीय स्तर पर एप्पल, आइबीएम,
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           माइक्रोसॉफ्ट, सैप, साइबेस, यूचनचसस जैसी सूिना प्रौद्योचिकी उद्योि की प्रमुख कपचनयों ने अपनाया है ।
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           मानकीकरण का यह कायष अमेररका चस्र्त लाभ ना कमाने वाली एक सस्र्ा, यूचनकोि कसोचशषयम, द्वारा
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           चकया जाता रहा है । भारत सरकार क े  इलेक्ट्रॉचनक चवभाि ने भी इस कसोचशषयम क े  जररए चहदी क े  यूचनकोि
           फॉडट जैसे मिल, कोचकला, एररयल यूचनकोि एमएसआचद की एनकोचिि कराई है, चजसकी वज़ह से आधुचनक
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           कप्यूटरों में यह फॉडट पहले से ही चवद्यमान होते हैं ।
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           यूचनकोि एक एनकोचिि व्यवस्र्ा है जो चक पाचल और प्राक ृ त जैसी प्रािीन भाषाओं से भी पररचित है । इसकी
           चवशेषता यह है चक एक कम् प् यूटर क े  पाठ को दुचनया क े  चकसी भी अड़ य यूचनकोि आधाररत कम् प् यूटर पर खोला
           व पढ़ा जा सकता है । इसक े  चलए अलि से उस भाषा क े  फॉड़ट का प्रयोि करने की अचनवायषता नहीं होती,
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           क् योंचक यूचनकोि क े चड़ द्रत हर फॉड़ट में चसर्द्ातत: चवश् व की हर भाषा क े  अक्षर मौजूद होते हैं । यूचनकोि
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           आधाररत कम् प् यूटरों में प्रत् येक कायष भारत की चकसी भी भाषा में चकया जा सकता है, बशत चक ‘ऑपरेचटि
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           चसस् टम’ पर प्रचतस्र्ाचपत सॉफ्टवेयर यूचनकोि व्यवस्र्ा आधाररत हो । आज बाज़ार में आने वाला हर नया

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           कप्यूटर व अड़य िैजट ना चसफ ष  चहड़दी, बचल्क दुचनया की आचधकतर भाषाओं में कायष करने में सक्षम है क्योंचक
           यह सभी चलचपयाूँ यूचनकोि मानक में शाचमल हैं ।



           मौजूदा समय में चहड़दी ‘ग्लोबल चहड़दी” में पररवचतषत हो िई है ।आज तकनीकी चवकास क े  युि में दूसरे देशों क े

           लोि भी, चवपणन क े  चलए ही सही, चहड़दी भाषा सीख रहे हैं । आज चस्र्चत यह है चक भारत व िीन क े  व्यवसाचयक

           सबधों को बढ़ाने की सभावनाओं की तलाश क े  चलए लिभि दस हज़ार लोि िीन में चहड़दी सीख रहे हैं । आज
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           से कई वषष पूवष कप्यूटर पर चहड़दी में कायष आरभ हुआ और इसी तरह एनकोचिि व चिकोचिि क े  माध्यम से
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           चवश्व की चवचभड़न भाषाएूँ भी कप्यूटर पर सुलभ होने लिी ।
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           इस तकनीकी चवकास ने भारतीय भाषाओं को जोड़ा है । कप्यूटर क े  माध्यम से चवचभड़न सॉफ्टवेयरों, सी-िैक
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           सस्र्ा क े  चहदी सीखने व सीखाने क े  चवचभड़न कप्यूटरीक ृ त कायषक्रमों जैसे - प्रबोध, प्रवीण व प्राज्ञ पाठ ् यक्रमों
           क े  चलये लीला वाचिक तकनीक क े  प्रयोि ने भाषा सीखने की प्रचक्रया को चवचभड़न भाषा माध्यमों से चबलक ु ल
           आसान बना चदया, चजससे भाषायी चनकटता का उदय हुआ.   चजसक े  वज़ह से भाषायी एकता आना स्वाभाचवक
           र्ा।

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