Page 30 - Prayas Magazine
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          वैसे तो जहाूँ भी दो या दो से अचधक व्यजन चमल जाते हैं, वे सयुि व्यजन कहलाते हैं, चकतु देवनािरी
                                                                               ं
                                                                                         ं
                                                                       ं
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          चलचप में सयोि क े  बाद ऱूप-पररवतषन हो जाने क े  कारण इन िारों सयुि व्यजनों को चहदी वणषमाला
          क े  अतिषत चिनाया िया है। ये दो-दो व्यजनों से चमलकर बने हैं। जैसे:- क्ष=क ् +ष (अक्षर), त्र=त्+र
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          (नक्षत्र), ज्ञ=ज्+ञ (ज्ञान), और श्र=श्+र (श्रम)।

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          शधदों क े  अतिषत वणष ' र ' क े  चवचवध ऱूप
          (र + ाा + म) = राम
          (क + ा् + र + म) = क्रम

          (क + र + ा + म) = कमष
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          (र + ाा + ष + ा् + ट + ा् + र) = राष्ट्ट्र

          नाचसक्य व्यजन (Nasal Consonants)
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          स्पशष व्यजन ताचलका क े  क-विष, ि-विष, ट-विष, त-विष तर्ा प-विष क े  पिम वणष यानी ङ, ञ, ण, न,
                                                                            ं
          म को नाचसक्य व्यजन कहते हैं
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          अनुस्वार ( चबदु ' ां ' ) (Anusvar)
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          इसका प्रयोि स्पशष व्यजन ताचलका क े  पिम वणष नाचसक्य व्यजन क े  स्र्ान पर होता है अर्ाषत् क-
                                                                   ं
          विष, ि-विष, ट-विष, त-विष तर्ा प-विष क े  पिम वणष यानी ङ, ञ, ण, न, म क े  स्र्ान पर होता है। इसका
                                                 ं
          चिि 'ां' है। अनुस्वार मूलतः व्यजन ही है। जैसे:-
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          िङ ् िा = ििा
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          पञ्ि = पि
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          पचडित = पचित
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          चहड़ दी = चहदी
          दम्भ = दभ
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          ध्यान देने योग्य :-

          1.  अनुस्वार क े  बाद यचद य, र, ल, व, श, ष, स, ह वणष आते हैं जो चक चकसी विष में सचम्मचलत नहीं हैं
              तो क े वल अनुस्वार का ही प्रयोि चकया जाता है। तब उसे चकसी वणष में नहीं बदला जा सकता।

              जैसे सयम, सरक्षण .. यहाूँ अनुस्वार क े  बाद य और र वणष हैं जो चकसी विष क े  अतिषत नहीं आते
                                                                                      ं
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              इसचलए यहाूँ चबदु ही लिेिा।

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          2.  जब दो पिम वणष एक सार् हों तो वहाूँ पिम वणों का ही प्रयोि चकया जाता है। वहाूँ अनुस्वार नहीं
              लिता। जैसे:- सम्मान, िम्मि, उड़नचत, जड़म आचद।










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