Page 121 - Sanidhya 2024
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“समापडण, सातिनध्या औरा स्वाावालांबन”
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सोासिंनध्य �बा तीम्हेा�ा ह तीो �ीवान म उल्लाासो ह,
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नएँ सोपुन, नई मसिं�ल, नई उड़ानो काी आसो ह, ै
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हमा�ी प्रममयाी �गोलबादी काा नहीं काोई सोानी ह, ै
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दो कादम तीम्हेा� औ� दो म�, बासो इतीना ही प्रयाासो ह।।
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प्रा�कित� रूप सं प�ार्थ औ� ऊँजाा �ा बकिमुसंाल संयांग हैी जाीवा� �ा मुल/संा� है औ� जाीवा� �ी
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अभाीष्ट्ता प्राप्त हैंती है �छु ऐसं संाकि�ध्यंं सं, किजा�� संार्थ हैं� � एहैसंासं मुा� सं हैी हैमु पलकि�त हैं, संम्पण ऊँजाा ि
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एवा संामुथ्यो � संार्थ कि�यांकिजात लक्ष्ंं �ी प्राखिप्त �� सं�।
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जाीवा� प्रवााहै � �ौ�ा� उ� संाकि�ध्य किफ� चाहै खुबसं�त बचप� �ी याा�ंं मु किसंमु�ी, मुा–बाप, �ा�ा–
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�ा�ी, �ा�ा–�ा�ी, चाचा–चाची, मुामुा–मुामुी, बआ–फफा आकि� �ी झेल� हैं याा किफ� कि�शीं�ावास्थाा मु भााई–बहै�ंं
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औ� संखुी–संहैकिलयांं/ किमु�ंं �ा अल्हड़ीप�। बासिंबातीा कामा�ी
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पत्नीी – �ी प्रमुं� चौधै�ी, 2IC
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जावाा�ी �ी �हैलीजा प� �ंमु-�ंमु �ं पलकि�त ��� वााल मुासंमु प्रमु �ा एहैसंासं हैं याा किफ� जाीवा� संार्थी संग 208 �ंब�ा, बालाघाा�, (मुप्र.)
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किमुल�� �ंमुाच� भाकिवाष्य �ी संप�ंं औ� यार्थार्थ सं भा�ी याा�ा....औ� �वा जाीवा� � संजा� �ा अप्रकितमु आ��।
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प्रौढ़ाावास्थाा मु अपक्षाओंं औ� �तव्यंं �ी �ा�ं भा�ी डग� हैं याा किफ� वाद्धाावास्थाा �ा शीाकित औ� सं�� भा�ा आखिखु�ी संफ�।
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इसं संमुस्तु जाीवा� याा�ा � �ौ�ा� इ� संभाी �ं आवाश्य�ता हैंती है अप�ंं � संाकि�ध्य �ी ।
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हैालाकि�, संामुान्य परि��ल्प�ा सं प�, जाब बात हैं पकिलसं बलंं मु �ाया�त हैमुा� बहैा�� सं�मुाओंं औ� उ�� परि�जा�ंं �ी; तं
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संाकि�ध्य � उ� आयाामुंं � किवास्तुा�ी��ण � संार्थ-संार्थ उन्हो �ए �लवा� मु संजां� औ� परि�भााकि�त ��� �ी गभाी� आवाश्य�ता प्रतीत
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हैंती है।
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इसं क्रमु मु ए� ओं� हैमुा� जााबाजा ज्या�ात� संमुया अप� किप्रयाजा�ंं सं �� �ाष्ट् ी ीया सं�क्षा � बहै� जांखिखुमु भा� �ाकियात्वंं � कि�वाहै�
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मु व्यस्तु �हैत है, वाहैीं �सं�ी ओं� कि�संी अ�हैं�ी �ी आशी�ा सं परि�पण �ंजामु�ा � त�ावा औ� च�ौकितयांं सं या� वाातावा�ण मु बच्चोंं �ं
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पालती उ��ी अधैाकिगकि�याा इ� �ं�ं हैी पक्षंं �ं � �वाल आवाश्य�ता है दृढ़ा सं�खिल्पत मुा�किसं� औ� आपसंी संाकि�ध्य �ी, अकिपत ु
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�ायास्थाल/कि�वाासं-स्थाल मु किवाभाागीया व्यवास्थाा � अतगत प्र�ा� कि�ए जाा� वााल व्यवाहैारि��, संामुाकिजा� एवा मु�ंवाज्ञााकि�� संबल �ी भाी। औ�
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इ� संबसं प� इसं संाकि�ध्य �ी संवााकिधै� आवाश्य�ता है हैमुा�ी उ� वाी� �ारि�यांं औ� उ� बहैा�� कि�व्याग संाकिर्थयांं �ं किजान्होंंने� �तव्य �ी
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बकिलवा�ी प� अप�ा संवास्वा न्यौछुावा� ��� मु भाी �ंई किहैचकि�चाहै� �हैीं कि�खुाई।
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अत वातमुा� परि�दृश्य मु हैमु ए�जा� हैं अप� संभाी बहैा�� संाकिर्थयांं औ� उ�� परि�जा�ंं �ं ए� संवा��शीील बल, �ाष्ट् ी , संमुाजा
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औ� व्यखि� �ी हैकिसंयात सं उ�� संामुाकिजा�, आकिर्थ� औ� मुा�किसं� किवा�ासं � किलए आधैा�भात ढोाच तयाा� ��� �ी, किजासंसं वां अप�ा आग े
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�ा जाीवा� स्वाावालब�, संम्माा� एवा आत्मकि�भा�ता � संार्थ जाी सं�।
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हैालाकि� इ� संब� किलए हैमु कि��त� प्रयात्नीशीील है, तर्थाकिप प्रयाासंंं �ी इसं �ड़ीी �ं औ� अकिधै� संदृढ़ा औ� किवास्तुारि�त कि�ए जाा� े
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�ी आवाश्य�ता है।
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ती� सिंच�ागो अलगो ह , म� सिंच�ागो भाी काछो �दा,
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चलों अबा सोाथ सिंमलका� �ौशानी काो दोगोना का� द ||
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