Page 21 - Sanidhya_2024
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स्मि�तीा पुॉली
                                                                                                    मानादे सहि�वा काावाा
                                                                 े
                                                              संंदेश
                                                                        ु
                                                                             े
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                                                                                                              े
                  मु� किलए गवाि �ी बात है कि� मुुझेे �ीमुती रि�मुकिझेमु किसंहै, अध्यक्षा, �ावाा � �शील �तृत्व मुं CRPF परि�वाा� �ल्यााण संंस्थाा �ावाा �
                             े
                  मुा�� संकिचवा � रूप मुं संेवाा ���े �ा संुअवासं� प्राप्त हुआ।
                                                                 ं
                                                                                                              ै
                  �ावाा अप�े ध्यया “संार्थि� संहैयांग संवाि�ा” मुं किवाश्वासं ��ते हुए कि��त� अप�े अप्रकितमु एवां अकिद्वातीया लक्ष् �ी ओं� संतत् अग्रसं� है।
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                  इसंी �ं ध्या� मुं �खुते हुए हैमुा�ा उद्देश्य ए� ऐसंे संुदृढ़ा एवां संंगकिठत मुंच �ी स्थााप�ा ���ा है किजासंसंे �न्द्ीया रि�जावाि पकिलसं बल �ी
                                                                                                      ु
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                                                                                      ृ
                        ं
                  मुकिहैलाए किवाकिभीन्न गकितकिवाकिर्धयांं मुं संकिक्रया रूप संे भीाग ल��  अप�े �ौशील एवां आत्मकिवाश्वासं मुं वाक्तिद्ध �� अप�े परि�वाा�ंं � उच्चोतमु
                                                                                                        े
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                                                                                        े
                  किशीखु� त� पहुच�े  मुं भी�प� यांग�ा� � सं�।  �ावाा �े प� वा�ि �ायािशीालाओंं औ� किवाकिभीन्न संकिमु�ा�ंं �ा आयांजा� ��वाा��
                                       ू
                              ँ
                  मुकिहैलाओंं �ं �क्ष एवां आत्मकि�भीि� ब�ायाा है।
                                                 ै
                                                                ृ
                                                                                                           ु
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                  मुं  �ीमुती रि�मुकिझेमु किसंहै, अध्यक्षा �ावाा �ं अप�ी  हैाकि�� �तज्ञाता एवां आभीा� व्य� ���ा चाहैती हूँ किजान्होंंने�े अप�े �शील
                  मुागि�शीि� संे हैमुा� संंगठ� � ध्यया �ं किशीखु� प� ले जाा�े  मुं अहैमु भीकिमु�ा कि�भीाई है।  मुं �ावाा � संभीी सं�स्योंं द्वाा�ा कि�ए गए
                                                                                          े
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                  अमुल्या मुागि�शीि�, प्र�णा एवां प्रंत्सााहै� � किलए भीी तहै कि�ल संे आभीा�ी हूँ।
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                                                         े
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                  हैमु�े, संाकि�ध्य पकि��ा �ं मुति रुप ��े � किलए लगाता� बैठ�ंं �ा आयांजा� ��वाायाा ताकि� संभीी RCWA �ी गकितकिवाकिर्धयांं �ं
                                                                                             ं
                                                           े
                  शीाकिमुल कि�याा जाा सं� । मुुझेे पणि किवाश्वासं है कि�  पकि��ा � आ��ि� एवां ज्ञाा�वार्धि� किवा�या वास्तंु अप�ी संगर्ध ��-�� त� फलाएगी
                                                                                            ु
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                  तर्था �ावाा अप�े सं�स्योंं एवां परि�वाा�ंं � जाीवा� प� मुहैत्वपणि प्रभीावा डालते हुए भीकिवाष्य मुं �ई ऊंचाइयांं �ं छु�े मुं �ंई �सं� �हैीं
                                                                                      ं
                      े
                  छुंड़ेगी।
                                   े
                  आइए, हैमु संभीी �ीमु � रूप मुं अप�े अ�वा�त प्रयाासंंं संे कि�त �ई संंभीावा�ाओंं �ं तलाशी�े �ा �ामु जाा�ी �खुं ताकि� �ावाा औ�
                                                                                                     े
                  अकिर्ध� संशी�, शीक्ति�शीाली, संमुृद्ध वा प्रभीावाी �ल्यााण�ा�ी संंस्थाा � रूप मुं स्थााकिपत हैं सं�। इसंी मुंगल �ामु�ा � संार्थ मुं इसं
                                                                                    े
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                                                                                                       ं
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                  पकि��ा � संफल प्र�ाशी� संे जाड़े संंपा�� मुंडल एवां �च�ा�ा�ंं �ं  उ�� संहैयांग एवां संमुपिण � किलए बर्धाई �ती हूँ।
                                                                                                   े
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                                                                                                     मानादे सहि�वा काावाा
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