Page 78 - Sanidhya_2024
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हीरिरायाालाी �ीजे केी माहीत्तीा

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                     �माराा देशु त्यो�ाराों काा देशु � जी�ा परा सभी त्यो�ारा बड़ी   परा �रा राग का कापड़ प�नाना काी परापराा �,
                                               ं
                                           ै
                                                                                                ै
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              �म�ाम , खशुी औरा उमग का साथ मनााए जीात �। तीजी काो �रिरायाली   जीो हिका लब समय स �ली आ रा�ी �।
                                                       ू
                                                          ं
              तीजी या काजीली तीजी का नााम स भी जीानाा जीाता �। हि�दे प�ाग का      इस  उत्सुवा  म  कावााराी  कान्याओंं
                                                   ै
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              अनासारा तीजी काा पवा सावाना मास का  शुक्लपक्षा काी ततीया हितहिथ काो   स लकारा हिवावााहि�त यवाा औरा वा� महि�लाए
                                                                                                ं
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              मनााया जीाता �। इस हिदेना स�ाहिगना महि�लाए पहित काी लबी आय का   सन्धिम्माहिलत �ोती �। नावा-हिवावााहि�त यवाहितयों
                                                                   े
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              हिलए व्रत राखती �। राामायण वा म�ाभारात कााल म भी इस पवा काा   का  प्रथम  सावाना  म  मायका  आकारा  इस
                                                                                      े
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                                      ै
              उल्लीख हिमलता �। का�ा जीाता � हिका माता पावाती ना भगवााना हिशुवा   �रिरायाली  तीजी  म  सन्धिम्माहिलत  �ोना  काी   श्रीीमतीी पुनम सिंसोह,
                                                     े
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              काी प्रान्धिप्त का हिलए इस व्रत काो हिकाया था, हिजीसस प्रसन्नो �ोकारा भगवााना   परापराा  �।  �रिरायाली  तीजी  का  हिदेना  पत्नीी श्रीी संजीय काु मारा हिसं�,उप म�ाहिनाराीक्षाका
                                                                         ै
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                                                                                                   ग्रुप कान्द् कारिरापबल, सबलपरा
                          ं
                                                ं
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                                                                                           ृं
              भोलनााथ  ना  मा  पावाती  काो  पत्नीी  का  रूप  म  स्वीीकाारा  हिकाया  था।   स�ागना  न्धिस्त्या  �रा  राग  काा  श्रीगारा   ु  े  े  ु  ं  ु
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              �रिरायाली तीजी का हिदेना पजीा अ�नाा का देौरााना म� जीाप कारानाा बहुत   काराती �। इसका पीछू �ाहिमका कााराण
                                                                        ै
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              शुभ मानाा जीाता �। य� उत्सुवा महि�लाओंं काा उत्सुवा �। सावाना म  ं  का साथ �ी वाज्ञााहिनाका कााराण भी �। म�देी स�ाग काा प्रतीका हि�न्हे
                                                                                           ै
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              जीब सम्पण प्रकाहित �राी ओंढ़नाी स आच्छीाहिदेत �ोती � उस अवासरा   मानाा जीाता �। इसहिलए महि�लाए स�ाग पवा म म�देी अवाश्य  लगाती
                                                                                         ं
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              परा महि�लाओंं का मना मयरा नात्य काराना लगत �। वाक्षा काी शुाखाओंं म  ं  �। इसकाी शुीतल प्रकाहित प्रम औरा उमग काो सतलना प्रदेाना काराना काा
                                         े
                                                                                                     ु
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                                                                                                                े
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                                                                   ै
                                                                                 ृ
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                                     ं
              �ूल पड़ जीात �। आस्थाा, उमग, सौंदेय औरा प्रम काा य� उत्सुवा   भी कााम काराती �। �रिरायाली तीजी काा हिनायम � हिका �ो� काो मना म  ं
                                                                               ै
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                                                                                                  ं
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              हिशुवा-पावाती का पनाहिमलना का उपलक्ष् म मनााया जीाता �। �ाराों ओंरा   ना�ीं आना दे। म�देी काा और्ष�ीय गण इसम महि�लाओंं काी स�ायता
                                                                             ं
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                                           ं
              �रिरायाली �ोना का कााराण इस �रिरायाली तीजी का�त �। इस अवासरा   काराता �। इस व्रत म सास औरा बड़, नाई देल्हना काो वास्त्, �राी �हिड़या  ं
                                                                                           े
                                                                                                               ू
                                                                                ं
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                                                     ं
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                                                                                                 ं
                                                                                               े
                                                                                       ं
                                                                                         ं
                                                                                                                  ै
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                                                                    ृं
                                                        ं
                                  ं
                                                 ै
                       ं
              परा महि�लाए �ूला �ूलती �, लोका-गीत गाती � औरा आनादे मनााती   , श्रीगारा सामग्रुी औरा हिमठााइया भटे कारात �। इसकाा उद्दीश्य  �ोता �,
                                                                                                         ृ
                                                                                             े
              �। ै                                                देल्हना काा श्रीगारा, स�ाग सदेा बनाा रा� औरा वाशु काी वान्धि� �ो।
                                                                           ृं
                                                                                                  ं
                                                                   ु
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                                                                                                    व
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                                    ं
                     सनाातना �म म �राा राग सख, शुाहित, �रिरायाली, तराक्काी औरा      का�ा जीाता � हिका इस हिदेना माता पावाती सकाड़ों वार्षं  काी
                                       ु
                                                                                         े
                                                                                                                ै
                                                                        े
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                    े
              अच्छीी स�त काा प्रतीका मानाा जीाता �, इसहिलए �रिरायाली तीजी   सा�नाा का प�ात भगवााना हिशुवा स हिमली थी। य� भी का�ा जीाता � हिका
                                                                            े
                                                                  माता पावाती ना भगवााना हिशुवा काो पहित रूप म पाना का हिलए 107 बारा
                                                                                                        े
                                                                         व
                                                                                                      े
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                                                                                                  ं
                                                                                                                 े
                                                                                            े
                                                                  जीन्म हिलया हिफेरा भी माता काो पहित का रूप म हिशुवा प्राप्त ना �ो सका।
                                                                                       े
                                                                                   व
                                                                  108 वाीं बारा माता पावाती ना जीब जीन्म हिलया तब श्रीावाण मास काी
                                                                                                    ं
                                                                           ृ
                                                                                                              े
                                                                   ु
                                                                  शुक्ल पक्षा ततीया काो भगवााना हिशुवा पहित रूप म प्राप्त �ो सका। तभी
                                                                                                                   ं
                                                                                                        ु
                                                                   े
                                                                  स इस व्रत काा प्राराम्भ हुआ। इस अवासरा परा जीो स�ागना महि�लाए
                                                                                        व
                                                                  सोल� श्रीगारा काराका हिशुवा पावाती काी पजीा काराती � उनाकाा स�ाग
                                                                                े
                                                                                                        ै
                                                                                               ू
                                                                        ृं
                                                                                                                ु
                                                                                                                े
                                                                  लबी अवाहि� तका बनाा रा�ता �। साथ �ी देवाी पावाती का का�ना परा
                                                                                                 े
                                                                                                           े
                                                                                        ै
                                                                                                       व
                                                                   ं
                                                                  हिशुवाजीी ना आशुीवाादे हिदेया था हिका जीो भी कावााराी कान्या इस व्रत काो
                                                                               व
                                                                         े
                                                                                                 ुं
                                                                                        ू
                                                                                                               े
                                                                                             े
                                                                                                           ं
                                                                  राखगी औरा हिशुवा पावाती काी पजीा कारागी उनाका हिवावाा� म आना वााली
                                                                                 व
                                                                                                   े
                                                                    े
                                                                  बा�ाए देरा �ोंगी साथ �ी योग्य वारा काी प्रान्धिप्त �ोगी। स�ागना न्धिस्त्यों
                                                                      ं
                                                                                                          ु
                                                                        ू
                                                                            े
                                                                                                     े
                                                                                                    ं
                                                                                                                  े
                                                                  काो इस व्रत स सौभाग्य काी प्रान्धिप्त �ोगी औरा लब समय तका पहित का
                                                                                                े
                                                                                       ु
                                                                  साथ वावााहि�का जीीवाना काा सख प्राप्त कारागी। इसहिलए कावााराी औरा
                                                                                                           ुं
                                                                       ै
                                                                  स�ागना देोनाों �ी इस व्रत काो राखती � ै
                                                                   ु
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