Page 18 - E-BOOK KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN RANCHI REGION
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कोरोना गीत









                                                                                                           ै
                                                        ै
                                                     कसी नामुराद हवा चली ह,
                                                     सारी   नया जेल बनी गई,


                                                   डॉ टर वै ा नक हो गए फल
                                                                                                         े

                                                                                    ै
                                                                                े
                                                           ु
                                                        कदरत का य कसाखेल ।।



                                                        कोरोना का तांडव जारी,

                                                                     ु
                                                     पड़ी कदरत आज भी भारी,


                                                   दवा अब तक ना सूझी एक ,


                                                                                                े
                                                       बैठ   व ान घुटन टक ।।
                                                                                            े





                                                       मु  कलअब भारी आयी,


                                                          शू य म   नया समाई,


                                                                                         ै
                                             बा द का अब बंद ह शोर कछ  न
                                                                                                        ु
                                                         चला  व ान का ज़ोर।।








                                                                                      े
                                                                                           ै
                                                       मानवता सबस ह हारी ,

                                                                        ु
                                                     आयी कदरत क  अब बारी,

                                                              ृ
                                                                                               ै
                                                        क त  ेमी बचा ह कौन,
                                                            यह तो बताओ दोषी


                                                                          कौन।।
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