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सपं ादक की कलम से

                                                            अमर्त्थ िी पुत्र हो बढ़े चलो बढ़े चलो.....

      ससं ार मंे अनके विपदाएँ आईं और मानिता की गतत को रोकने का प्रयास ककया पर
      मानिीय जििीविषा के सामने उनकी एक न चली। विद्यमान कोरोना काल भी उसी तरह
      का एक भयानक सकं ट है पर िाह! रे मानि तनू े अपने कदम न रोके ।

      के न्द्रीय विद्यालय सगं ठन भी प्रारभं इस कोरोना सकं ्रमण से थोडा वठठका पर विषम
      पररस्थिततयों मंे भी रास्ता ननकालना महती सिं ा का लक्ष्य होता है। आि हम
      ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा को छात्र के घर तक पहँुचाने मंे समथथ हो चकु े हैं।
      परपं रागत शिक्षा पद्धतत माना कक श्रषे ्ठ है पर पणू तथ ा के शलए िह भी रिजिटल माध्यम
      का सहारा लते ी रही है यह सिवथ िवदत है। ितमथ ान प्रसगं मंे लोगों के रिजिटल ज्ञान मंे
      भी अभतू पिू थ िजृ द्ध हुई है। शिक्षक ि छात्र तथा अजभभािक भी ऑनलाइन के ढेर सारे
      उपकरणों पर महारत हाशसल कर चकु े हंै।

      शिक्षा मंे यह बदलाि समय की माँग भी था। क्योंकक बढ़ते शिक्षा व्यय को उठाना सभी
      के िि में नहीं है। ऐसी विषम स्थितत में ऑनलाइन शिक्षा ने एक नया मागथ को वदखाया
      है िो शिक्षा क्षते ्र मंे क्रांततकारी पररितनथ का मखु ्य आधार होगा।

      छात्र शिक्षक को शसखाता है का िास्तविक रूप आसन्नसिे ाननितृ ्त शिक्षकों की उँगशलयों
      को शसखाता छात्रहस्त आि हम पदे-पदे देख रहे हंै। इसका अथथ यह नहीं है कक यह
      उल्टी गगं ा क्यों बह रही है अपपतु शिक्षा का िास्तविक रूप शिक्षा का उभयथा सपं ्रसारण
      ही माना गया है:-
      ‘बालादपप ग्रहीतव्यं यकु ्तमकु ्तं मनीपषजभिः। रिरे विषये ककिं न प्रदीपस्य प्रकािनम॥् ’

                                                                                        

                                                                                                निनीत कु मार

                                                                                                                             स्नातकोत्तर शिक्षक रहिंदी
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