Page 16 - Epatrika2020 KV2 AFA DUNDIGAL HYD
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गम -मुकश राज ू
10व ‘ब’
गम क िदन बड़ा सतात।े
पसीने से तरबतर हो जाते।। रोल न:36
सरू ज हो रहा बरे हम।
कह खेलने जाए हम।।
तप रह ह यह धरती।
सूखी नद आह भरती।।
कु का आया जमाना।
शरबत को भी आजमाना।।
आम फल का ह सरताज।
गम म इसका ह राज।।
पानी तो अब लगे ह ारा।
एसी कू लर बन गया ारा।।
हमको तो बस यह ह कहना।
ओ गम तुम दूर ह रहना ।।