Page 18 - Epatrika2020 KV2 AFA DUNDIGAL HYD
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दश भि पर शायरी                                                         -अनंत ब ोई  
1. ​यह रहँूगा कह उ भर न जाउँगा, ज़मीन म ह इसे छोड़ कर न जाऊँ गा।         क ा :- १० अ 
                                                                       सदन :- टगोर  

                                                                          रोल न:- २०  

2.  उ​ नक हौसल े का भुगतान  ा करगे ा कोई, उनक  शहादत का क़ज़ दश पर उधार ह, आप और हम इस 
लए खुश-हाल ह क, सीमा पे सै नक शहादत को तैयार ह। 
3.  तीन रगं  का नह  व , य े ज दश क  शान ह, हर भारतीय क िदलो का  ा भमान ह, यह  ह गंगा, यह  
ह हमालय, यह ह क जान ह, और तीन रगं म रगं ा हुआ ये अपना हदु ान ह| 

4.  जो  दश  क  लए  शह द  हुए  उनको  मेरा  सलाम  ह  अपन े खनू   स े जस ज़मीन को स चा उन बहादुर  को 
सलाम ह| 

5. श ा-ऐ-वतन क लौ पर जब कु ब न पतंगा हो  

   होठो पर गगं ा हो और हाथो म तरगं ा हो। 

6. म जला हुआ राख नह , अमर द प हँू ,जो मट गया वतन पर ,म वो शह द हँू।  

7. फ़ना होने क इजाजत ली नह जाती ,ये वतन क मोह त ह जनाब  

   पूछ क नह क जाती।  

8. तीन रगं  का नह  व  ,य े ज दश क  शान ह ,हर भारतीय क िदलो का  ा भमान ह ,यहे  ह गंगा , यह  

ह हमालय , यह ह क जान ह,और तीन रगं ो म रगं ा हुआ ये अपना हदु ान ह।  

9. म अपने दश का हरदम स ान करता हँू,यह क म का ह गुणगान करता हँू, 

मझु े डर नह ह अपनी मोत से , तरगं ा बने कफन मेरा, यह अरमान रखता हँू। 

10. लड़ जंग वीर क तरह,जब खून खौल फौलाद हुआ  

मरते दम तक डट रह वो,तब ह तो दश आजाद हुआ |       जय ह  

 

                                                                         

 

 

 
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