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दश भि पर शायरी -अनंत ब ोई
1. यह रहँूगा कह उ भर न जाउँगा, ज़मीन म ह इसे छोड़ कर न जाऊँ गा। क ा :- १० अ
सदन :- टगोर
रोल न:- २०
2. उ नक हौसल े का भुगतान ा करगे ा कोई, उनक शहादत का क़ज़ दश पर उधार ह, आप और हम इस
लए खुश-हाल ह क, सीमा पे सै नक शहादत को तैयार ह।
3. तीन रगं का नह व , य े ज दश क शान ह, हर भारतीय क िदलो का ा भमान ह, यह ह गंगा, यह
ह हमालय, यह ह क जान ह, और तीन रगं म रगं ा हुआ ये अपना हदु ान ह|
4. जो दश क लए शह द हुए उनको मेरा सलाम ह अपन े खनू स े जस ज़मीन को स चा उन बहादुर को
सलाम ह|
5. श ा-ऐ-वतन क लौ पर जब कु ब न पतंगा हो
होठो पर गगं ा हो और हाथो म तरगं ा हो।
6. म जला हुआ राख नह , अमर द प हँू ,जो मट गया वतन पर ,म वो शह द हँू।
7. फ़ना होने क इजाजत ली नह जाती ,ये वतन क मोह त ह जनाब
पूछ क नह क जाती।
8. तीन रगं का नह व ,य े ज दश क शान ह ,हर भारतीय क िदलो का ा भमान ह ,यहे ह गंगा , यह
ह हमालय , यह ह क जान ह,और तीन रगं ो म रगं ा हुआ ये अपना हदु ान ह।
9. म अपने दश का हरदम स ान करता हँू,यह क म का ह गुणगान करता हँू,
मझु े डर नह ह अपनी मोत से , तरगं ा बने कफन मेरा, यह अरमान रखता हँू।
10. लड़ जंग वीर क तरह,जब खून खौल फौलाद हुआ
मरते दम तक डट रह वो,तब ह तो दश आजाद हुआ | जय ह