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जौहर ( याण गीत)                           -35-

अ कार दूर था, झ क रहा सूर था ।                                                              →​का श वम  
कमल डोलने लगे, कोष खोलने लगे ॥ 
                                                                                                   सातव 'अ' 
लाल गगन हो गया, मगु मगन हो गया । 
रात क सभा उठ , मु रा भा उठ ॥                                                                                १ 
 
घूम घमू कर मधुप, फू ल चमू कर मधुप ।              जय त-जय- ननाद से,जय त-जय त-नाद से । 
गा रह िवहान थ,े गजूँ रह गान थे ॥                 गजँू ने नगर लगा; एक एक घर लगा ॥ 
                                                  
रात - त मर लापता, च द का न था पता ।              जय उम,े गणेश जय, हर महश जय । 
तु हन- बदु गत कह , छप गये नरवत कह ॥              जय नशु मदनी,जय म हषिवमादनी ॥ 
                                                  
पवन मंद बह चला, मधु मर बह चला ।                  दुग का महारथी, समर - शूर सारथी । 
अध खले खले कु समु , डाल पर हले कु सुम ॥          बोल उठा ताव स,े राजसी भाव से ॥ 
                                                  
िविवध रगं - ढंग क, िविवध प - रगं क ।             तुम अजर बढ़ चलो, तमु अमर बढ़ चलो । 
बोलते िवहंग थे; बाल - िवहग सगं थे ॥              तमु नडर बढ़ चलो, आन पर चढ़ चलो ॥ 
                                                  
भानु-कर उिदत हुए,कं ज खल मुिदत हुए।              शषे नाग हो अड़ा, न काल हो खड़ा । 
                                                 पद रह तुषार ह , झड़ रह अँगार ह ॥ 
   ाय भी उ चत हुए,कु मदु संकु चत हुए ।।           
                                                 पर न तमु को कभी, पर न तुम झकु ो कभी । 
जान गमन रात का, जान समय ात का ।                  नाग पर चले चलो, आग पर चले चलो ॥ 
वीर सब उछल पड़; महल से नकल पड़ ॥                    
                                                 एक ग त बनी रह, एक म त बनी रह । 
िदवस क िवकास म, करण क काश म ।                    जोश भी न कम रह, बाढ़ पर कदम रह ॥ 
गो लय दमक उठ ; ब छय चमक उठ ॥                      
                                                 कौन कह रहा नबल, कौन कह रहा क टल । 
सात सौ सवा रय , ती तर कटा रय ।                   झाड़ दो उसे अभी, गाड़ दो उसे अभी ॥ 
तगे तबर आ रय , चल पड़ी दधु ा रय ॥                  
 
                                                      ह जिटल महा, श ु ह कु िटल महा । 
                                                 आन-बान पर चलो,खले जान पर चलो ॥ 
                                                  
                                                 मौन वीर हो गये, मौन धीर हो गये । 
                                                 पर समीर हो गय,े तुरत तीर हो गये ॥ 

                                           
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