Page 21 - Epatrika2020 KV2 AFA DUNDIGAL HYD
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सरदार व भ भाई पटल 

लौह पु ष क ऐसी छिव                               ​- ो ना रानी नायक 
ना दखी ,ना सोची कभी                                                 १० "अ '' 
आवाज़ म सह सी दहाड़ थी 
                                                                               
 दय म कोमलता क पकु ार थी 
  

                 एकता का प जो इसने रचा 
                 दश का मान च पलभर म बदला 
                 गरीब का सरदार था वो 
                 दु न क लए लोहा था वो 
                 आधं ी क तरह बहता गया 
 
   ालामखु ी-सा धधकता गया 
बनकर ग धी क अ हसा का श  
महकता गया िव म जसै े कोई हा  
इ तहास क ग लयारे खोजते ह जस े  
 
                 ऐसे सरदार पटल अब ना 
                  मलते परू े िव म।। 
 

 

                                                  
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