Page 23 - Epatrika2020 KV2 AFA DUNDIGAL HYD
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कृ त क रगं -क नशा यादव
क ा : 10 ब
कृ त क ह रगं नराल े
कह निदय कह समदं र ारे l
कह रते और कह हम क पवत,
िदन म सूरज ताप िदखाए,
रात च मा शीतलता लाए ll
कृ त क ह छटा नराली,
फु ल क खुशबु महकाए।
वष क फु हार सुहाए,
ओढ ह रयाली क चादर,
लगती वसधु ा सबसे सदुं र ll
कृ त से खलवाड़ करो ना,
जगं ल पहाड़ तुम बब द करो ना l
आए सनु ामी बाढ़ भयंकर,
फर इं सान कु छ ना कर पाए,
अपने कए पर वह पछताए ll