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बढ़े पु�ष को सयमी और तेरी िश�ा म� खराई और वचन म� �ढ़ता
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यो� बनना िसखा... िदखाई दे तािक जो लोग तेरा िवरोध करत ह�
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वे शिमदा हों �ोंिक वे हमार बार म� कु छ
बूढ़ी ��यों को भी िक वो बदनामी करन े भी बुरा न कह सक� ।
वाली या िपय�ड़ नहीं होनी चािहए...
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और यवकों को समझाया कर
िक खुद पर सयंम रखना
चािहए।
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�ोंिक परम�र का अनुग्रह प्रकट �आ है सभी के प्रित शाित िप्रय, दसरों का �ान वाद-िववाद और
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जो सभी लोगों को उ�ार प्रदान करता है रखनवाल और नम्र बनो - �ोंिक एक बहस से दू र रह।
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और यह हम इस वतमान युग म� समय म� हम भी मूख�, अना�ाकारी,
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आ�-संयम, ईमानदार और धािमक जीवन धोखबाज और सभी प्रकार की
जीने के िलए िचताता है। अिभलाषाओं और सुख-िवलासों के दास पाख�ी लोगों को एक बार िचता दे, और
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थे। िफर उ�� दसरी बार िचता दे। इसक बाद
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उनस कोई लना-देना मत रख।
तीत ु ु स 2-3
तीतस 2-3
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