Page 36 - HINDI_SB57_Letters1
P. 36
े
ँ
ै
म� तुमसे िवनती करता �ँ जसा िक म� यहा जल म� प्रभु की सेवा
े
करन के िलए �ँ — उन लोगों के यो� जीवन जीने और काय �
े
करन के िलए िज�� इस तरह की आशीषों के िलए चुना गया है।
�
े
दीन और नम्र बन, एक दू सर के प्रित
सहनशील बन। �
हम सभी एक ही देह के अंग ह�
और हम सभी को एक ही
ं
आनददायक भिव� के िलए
ु
बलाया गया है।
े
ु
पर� हम म� से प्र�क को अनुग्रह िदया
ै
े
े
गया है, जसा िक मसीह न देन का िन�य
िकया था।
े
े
े
े
े
े
उसन कु छ को प्र�रत होन के िलए, कु छ को अ�ा उपदश दनवाला, कु छ को
े
े
ु
ससमाचार प्रचारक होन के िलए, और कु छ को अ�� और िश�क बनन के
िलए िदया तािक वे परम�र के लोगों को सेवा के िलए तयार कर सक� ।
ै
े
ु
े
सूय� के अ� होन तक त�ारा क्रोध न
ू
रहे —उस पर शीघ्रता से काब पाओ तािक
शतान को पैर जमान का अवसर न िमल। े
े
ै
े
एक दू सर से झूठ बोलना बंद करो। अगर
कोई चोरी करता है तो उसे चोरी करना
े
बंद करना चािहए और अपन हाथों का
े
े
�
इ�माल ईमानदारी से काय करन और
े
ू
दसरों की मदद करन के िलए करना
चािहए।
ु
े
े
�ाथ�, बर �भाव वाल और
क्रोिधत होना बंद करो।
े
े
इसक बजाय, एक दू सर के प्रित
े
ु
दयाल बनो, एक दू सर को �मा
े
े
े
करनवाल बनो, जैसे परम�र न े
ु
तमको �मा िकया है �ोंिक तुम अब
मसीह के समीप आ गए हो।
इिफिसयों 4ं 4
34 34 इिफिसयो