Page 24 - VIDYALAYA MAGZINE 2017 - 18_KVSRC
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     आज की िुशनया मे
                                                                        आज की दजननया मे मैंने
                                                                  बदलते िए देि की तस्वीर को देखा िै |
                                                                 ज
                                                                        इस दजननया मे मैंने झूठ को सच
                                                           और सच को झूठ िोते देखा िै |
                                                                             इसी दजननया मे मैंने
                                                                          दजष्टो का सम्मान िोते िए देखा िै|
                                                                                      ज
                                                                      इसी दजननया मे मैंने तो
                                                         कारों में क ज त्तों को देखा िै
                                                                             आज की दजननया में मैंने भगवान की
                                                              तस्वीर को कबाड़े में फ ें कते िए देखा िै |
                                                                                              ज
                                                                 आज की दजननया में मैंने देिों को
                                                             मोिब्बत निीं नफ़रत कराते देखा िै |
                                                                           इसी दजननया में मैंने इंसान को
                                                                                इंसान काटते िए देखा िै |
                                                                                     ज
                                                                              आज की दजननया में मैंने
                                                                              भाई – भाई को लड़ते देखा िै |
                                                                              और संस्कनत को भूलते देखा िै
                                                                           ृ
                                                                           इसी दजननया में मैंने पैसों क े दम पर
                                                                                     ईमान बेचेते देखा |
                                                                          आज की दजननया में तजम मानो या न मानो
                                               लेककन अपनी बातों से मजकरने वाले
                                                                                       इन्सानो को देखा िै |
               नाम  खाट2       मंजजश्री  :
               कक्षा   ब   नवमी  :
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