Page 29 - XIC Class Magazine
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कल सपने में
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कल आया वह मेर सामने
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मुस्करात हए कहा मुझे से, “चल वहााँ जाती ह
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जहााँ कोई झूठ ना हो,
जहााँ काययदा हह नह ीं |
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वहााँ बाररश क पानी म भीगे हम |
चमकील तारों को दख़ते,
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लेट हम इस सुखी ज़मीन पर
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गोल गोल चााँद म हम
अपने सपने म ललखी |
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इस आसमान क नीचे |
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हाथ म हाथ जोड़कर
नद क पानी जैसे हम
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बहस रह |
ऐसा मेरा हदल कभी ना थी |
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हसते हसते बात करक
इस सडक पर हम
-क ृ ष्णा वी भी