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प्यार बच्चो ,अपना दश भारत ववश्व का
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सबस बडा लोकतंर और गणतंर है । आजादी
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क े 75 साल हो चुक हैं लककन अभी भी ये एक
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ववकासशील दश ही कहा जाता ह।इसक सामन े
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अनक समस्त्याए हैं और उनका समाधान तभी
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हो सकता है जब आप जैस जजम्मदार और समझदार बच्चे
दश क े प्रतत अपनी जजम्मदारी तनष्ठा पूवाक तनभाएग।य हमारा
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सौभाग्य है कक हम आजादी क े अमत महोत्सव क े साक्षी बन
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रह हैं।अब हमें राष्र क े नव तनमााण क े सलए और भी कत
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संकल्प होना ह। इस दश में संववधान ही सवोपरर है और यह
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सभी को समान अवसर दता ह।तभी तो एक कवव ने सलखा है-
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-रुतबा मर ससर को संववधान से समला है ।सम्मान भी मुझे
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सववधान से समला है ।औरौं को जो समला है ककस्त्मत से समला
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हमुझे जो समला है संववधान से समला ह।।हमारा संववधान हमें
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अर्धकार भी दता है और कताव्य का बोध भी कराता है ।अब
हमारा कताव्य है कक हम याद रखें खुदीराम बोस की शहादत
,भगतससंह का बसलदान ,आजाद की दशभजक्त , नताजी की
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वतनपरस्त्ती और डॉक्टर अम्बडकर की संववधान तनमााण
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क्षमता ।य संववधान हमारा मागादशाक ह। हमारी प्ररणा है और
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हमारा आत्मववश्वास भी।आजादी क े अमत महोत्सव पर अपन े
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शहीदौं को याद करते हएराष्र नवतनमााण का संकल्प लते हए
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यही कहते हैं --हमारी आन बाकी हहमारी शान बाकी हभारत
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हमशा उन्नतत करगा क्यौंकक यहां संववधान बाकी ह।
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श्रीमिी रजू
प्रितिा राजनीति विज्ञान
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पुस्त्तको स ववहीन घर खखडककयौं स ववहीन घर ह।
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