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स्कल का अंतिम िर्थ और कोरोना....!
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मो. सैफ
पूिथ छात्र
स्क ू ल ये िब्ि एक अलग ही िुतनया कक और ले जािा हैं। क्जस िुतनया में
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हमार पास खोन क े शलए िो क ु छ नही होिा लककन पान क े शलए काफी क ु छ
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होिा हैं, हम पािे हैं नए शमत्र, जीिन जीना सीखन िाल अध्यापक। पढ़ाई क े
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सार् मक्स्ियां करना, खलिे खलिे नई नई िीज़ सीखना, अपन अंिर तछप े
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डर को खत्म करक अपनी खूत्रबयों को तनकालना।
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लककन िर्थ 2020 िुतनया क े शलए क ु छ ऐसा लकर आया, क्जसस स्क ू ल
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का अर्थ ही बिल गया। हमार अध्यापकों ने हमार घरों को ही स्क ू ल में बिल
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दिया। िैस िो अध्यापकों का कायथ अपन विद्याधर्थयों को पढ़ाना शसखाना
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हैं। लककन कोरोनाकाल में हमार अध्यापक एक अलग ही ऱूप में नजर
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आए। "फ्रि लाइन िकसथ" क े सार् कधा शमलाकर खड़े हए। लककन शसि थ
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अपन आप को यहां िक सीशमि नहीं रखा, बक्ल्क अपने पहल किथव्य को
बखूबी तनिाया, यानी हमें पढ़ान का काम िी जारी रखा।
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मरा ि मर साधर्यों का स्क ू ली जीिन का िो अंतिम िर्थ र्ा। हमने सोिा
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र्ा हम अपन स्क ू ल क े अंतिम दिनों को जी िर कर क्जएंग, लेककन ऐसा हो
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ना सका। हमारी सोि क े उलि हमन लोगो को एक एक सांस क े शलए झूझिे
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िखा, अपनो का अपनो पर से िरोसा ि ू ििे िखा। इतिहास की ककिाब में
पढ़ा र्ा, विश्ि में ििकों पहल महामारी आई र्ी और उसम कई लोगो कक
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मौि हई र्ी। लककन हमने किी सोिा िी नही र्ा कक हम इस महामारी क े
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गिाह बनेंग। मुझे अिी िी याि हैं, जब महामारी में लोग जान गिा रहें र्े।
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लोगो का दिमाग काम नही कर रहा र्ा, सबकी सूझ बूझ गायब सी हो गई
र्ी, िब हमार अध्यापकगण अपनी पूरी महनि क े सार् हमार िैक्षखणक
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िर्थ को बिान में लग हए। ऑनलाइन साधनों को सीख उसका इस्िेमाल
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कर रह र्े। कोरोनाकल बिक हमस कई सारी िीज़ छीन ले गया हो, लककन
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हमें िो यािें ि े गया जो लम्हें हमने ऑनलाइन कक्षा में अपन अध्यापकों क े
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सार् क्जए र्े। अंि में शसि इिना ही, िविष्य में शमलन िाली हर सिलिा
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में स्क ू ल और स्क ू ल क े शिक्षकों का िी बराबर योगिान होगा।
School is a building which has four walls with tomorrow inside