Page 50 - PowerPoint Presentation
P. 50

स्कल का अंतिम िर्थ और कोरोना....!
                   ू





                                                                          मो. सैफ
                                                                          पूिथ छात्र






           स्क ू ल ये िब्ि एक अलग ही िुतनया कक और ले जािा हैं। क्जस िुतनया में

                                                                                    े
                                                                       े
                  े
           हमार पास खोन क े शलए िो क ु छ नही होिा लककन पान क े शलए काफी क ु छ
                                े
           होिा हैं, हम पािे हैं नए शमत्र, जीिन जीना सीखन िाल अध्यापक। पढ़ाई क े
                                                                                   े
                                                                            े
                                                                                                े
                                           े
           सार् मक्स्ियां करना, खलिे खलिे नई नई िीज़ सीखना, अपन अंिर तछप                                       े
                                                                           े
                                                    े
           डर को खत्म करक अपनी खूत्रबयों को तनकालना।
                                   े
                  े
                                                                                                     े
                                                                             े
               लककन िर्थ 2020 िुतनया क े शलए क ु छ ऐसा लकर आया, क्जसस स्क ू ल
                                                 े
           का अर्थ ही बिल गया। हमार अध्यापकों ने हमार घरों को ही स्क ू ल में बिल
                                                                            े
           दिया। िैस िो अध्यापकों का कायथ अपन विद्याधर्थयों को पढ़ाना शसखाना
                         े
                                                                  े
                  े
           हैं। लककन कोरोनाकाल में हमार अध्यापक एक अलग ही ऱूप में नजर
                                                        े
           आए। "फ्रि लाइन िकसथ" क े सार् कधा शमलाकर खड़े हए। लककन शसि                                          थ
                        ं
                                                             ं
                                         थ
                                                                                                े
                                                                                        ु
                  े
                                                                                               े
           अपन आप को यहां िक सीशमि नहीं रखा, बक्ल्क अपने पहल किथव्य को
           बखूबी तनिाया, यानी हमें पढ़ान का काम िी जारी रखा।
                                                     े
                             े
                           े
               मरा ि मर साधर्यों का स्क ू ली जीिन का िो अंतिम िर्थ र्ा। हमने सोिा
                  े
                                                                                         े
                            े
           र्ा हम अपन स्क ू ल क े अंतिम दिनों को जी िर कर क्जएंग, लेककन ऐसा हो
                                                           े
           ना सका। हमारी सोि क े उलि हमन लोगो को एक एक सांस क े शलए झूझिे
                                                                        े
             े
           िखा, अपनो का अपनो पर से िरोसा ि ू ििे िखा। इतिहास की ककिाब में
           पढ़ा र्ा, विश्ि में ििकों पहल महामारी आई र्ी और उसम कई लोगो कक
                                                                                           े
                                                   े
                               े
           मौि हई र्ी। लककन हमने किी सोिा िी नही र्ा कक हम इस महामारी क े
                    ु
           गिाह बनेंग। मुझे अिी िी याि हैं, जब महामारी में लोग जान गिा रहें र्े।
                          े
           लोगो का दिमाग काम नही कर रहा र्ा, सबकी सूझ बूझ गायब सी हो गई
           र्ी, िब हमार अध्यापकगण अपनी पूरी महनि क े सार् हमार िैक्षखणक
                                                                                                े
                                                                     े
                             े
                                        े
                              े
           िर्थ को बिान में लग हए। ऑनलाइन साधनों को सीख उसका इस्िेमाल
                                           ु
                    े
                                            े
                                                                              े
                                                                                                        े
           कर रह र्े। कोरोनाकल बिक हमस कई सारी िीज़ छीन ले गया हो, लककन
                                                          े
           हमें िो यािें ि े गया जो लम्हें हमने ऑनलाइन कक्षा में अपन अध्यापकों क े
                                                                                           े
           सार् क्जए र्े। अंि में शसि इिना ही, िविष्य में शमलन िाली हर सिलिा
                                                                                     े
                                              थ
           में स्क ू ल और स्क ू ल क े शिक्षकों का िी बराबर योगिान होगा।
         School is a building which has four walls with tomorrow inside
   45   46   47   48   49   50   51   52   53   54   55