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      िि िक्ति का नूिन स्िऱूप






      क्जसमें गौरि, गररमा ,िैिि
      िौयथ और समादहि 'िक्ति'


      नय युग में ,नया ज्ञान हो,
           े
                                े
      हो कछ नयी सी 'िििक्ति'।
            ु

       सिथप्रर्म हो िि-िंिन,
                           े

       क्जसकी मािी पािन ििन
                                        ं
       जब िी सोि िि की सोिें,
                         े
                            े
             े
       हो िि-दहि में सबका धिंिन।
                                                                           े
                                                                        लकर हम आलंब संविधान का
                                                                     सम्मान करें ,सबकी पहिान का
      मान हमारा , सम्मान िुम्हारा,
                                                                             े
                                                                          'िििक्ति' मात्र िब्ि नहीं है
      एक िूज का बन सहारा
                             े
                  े
                                                                        यह है आगार अक्षय ज्ञान का।
      अच्छा शिक्षा ,उिम ज्ञान,
       पर्क बन सबकी पहिान।
                     े
         ृ
                                                                              आओ शमलकर करें िि क े
                                                                                                            े
                                                                                        स्िप्न सार साकार
                                                                                                        े
                                  ं
      अब ना कहीं कोई ऊि- नीि हो
                                                                        े
                                                                   नय समय में नयी 'िििक्ति' को
                                                                                                 े
      उत्कष्ि िविष्य ही अपनी सोि हो                                                        िें नूिन आकार।
            ृ
                                        े
      हम सबका बस यही ध्यय हो
      जन जन को ही इसका श्रय हो।
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                                                                                            रखा ठाकरान
                                                                                              े
                                                                                           दहंिी प्रितिा
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