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उन सात स्वर्गदूतों में से एक
जिनके पास सात कटोरे थे, मुझे
आत्मा में एक बड़े और ऊँचे पहाड़
पर ले गए। और वहाँ मैं ने चकित
होकर पवित्र नगर यरूशलेम को
परमेश्वर के पास से स्वर्ग मेंसे
उतरते देखा।
नगर की शोभा किसी
अनमोल रत्न के
समान थी। यह
सचमुच परमेश्वर की शहर अपने आप में वर्णन से
महिमा के साथ चमक बाहरआश्चर्यजनक था।उसमें
रहा था। एक बहुत ऊँची शहरपनाह थी
जिसमें बारह द्वार थे, और
प्रत्येक द्वार पर स्वर्गदूत थे।
शहर की दीवारों की नींवें सभी
प्रकार के बहुमूल्य मणियों से
सजाई गई थीं और इन नींवों पर
मेम्ने के बारह प्रेरितों के नाम
अंकित थे।
जिस स्वर्गदूत ने मुझ से
बातें कीथीं, उसके पास
सोने की एक नापने की
छड़ थी, और उससे उसने
नगर को नापा।
शहरपनाह200 फुट मोटी
थी, और नगर को
एकवर्गाकार की तरह
बसाया गया था।
यह नगर 1,400 मील
चौड़ा, 1,400 मील
लम्बा और 1,400 मील
ऊँचा था।
बारह द्वार बारह मोतियों के
थे - और प्रत्येक द्वार एक
ही मोती से बना था। [1]
कभी भी उसके फाटक
बन्द न किए जाएँगे,
क्योंकि वहाँ कोई रात न
होगी।
किसी भी अपवित्र को प्रवेश
करने का अधिकार नहीं होगा,
सिर्फवही जिनके नाम मेम्ने के
जीवन की पुस्तक में लिखे हुए हैं।
[1] जैसेसीपको चीरने सेसांसारिकमोतीबनतेहैं -
वैसेहीयेविशालमोतीद्वारविश्वासियोंकोअनन्तकालतक
मसीहकेकष्टोंकी महत्ता याददिलाएँगे, जो उसने उनके प्रकाशितवाक्य 21:9-27
प्रकाशितवाक्य 21:9-27
26 26 लिए उठाए।